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________________ प्रद्युम्न PAR में वर्णन किया जाता है ।१४६। एक उत्सुक स्त्री चूड़ाबंधनको कमरमें और मेखलाको (करदौड़ाको) सिरपर बाँधकर देखनेको चरित्र आई ।१५०। दूसरी स्त्री नेत्रोंमें कुकुम प्रांजकर और गालोंपर कज्जल लगाकर विचित्र रूप बनकर देखने को चली बाई ॥१५१। कोई स्त्री अपना मस्तक और कुच उघाड़ करके आई।१५२। कोई स्त्री घरमें बालकको दूध पिला रही थी, सो उसीप्रकार दूध पीते हुए बालकको लेकर चली आई ।१५३। कोई स्त्री जिसके केश मुखपर बिखर रहे थे, ज्योंकी त्यों देखनेको चली आई ।१५४। कोई स्त्री जो अपने भर्तारको करछुईसे भोजन परोस रही थी,परोसना छोड़कर करछुई लिये हुए जल्दीसे देखनेको चली आई ।१५५। दो स्त्रिये मनुष्योंके झंडमें वरवधूको देखनेके लिये फँसती जाती थी जिनमेंसे एक का तो हार टूट गया था और दूसरीका संघर्षणसे कपड़ा फट गया था ।१५६। किसी स्त्रीने जल लानेके मार्ग में खड़ी होकर अच्छी तरहसे वरवधूको देखा और उनपर मुक्ताफल सहित लाई (सिके हुए धान्य जो मंगलीक होते हैं) क्षेपण की ।१५७। स्त्रियों के ऐसे तमाशेको देखकर लोग दोनों हाथोंसे ताली पीटने लगे और खिलखिलाकर हँसने लगे।१५८। किसीने आवाज लगाई कि वाह ! वाह ! क्या ही अद्भुत दृश्य है ! उसी समय गर्गजातिवालोंने जोरसे कहा,देखो ! श्रीकृष्णनारायण नवीन स्त्री को ले । आये हैं। पुण्यके प्रभावसे देखो तो सही, क्या ही बढिया संयोग हुआ है ।५६-६०कोईदूसरी नारी बोली,यह कुलीन मुंदरी धन्य है, जिसने कामदेवके रूपको जीतनेवाले श्रीकृष्ण जैसे वरको पाया है । ।१६१। इतनेमें ही दूसरी युवती बोली, कैसा उत्तम जोड़ तोड़ मिला है। सच पूछो, तो ये दोनों वरवधु कामदेव और रतिको भी लज्जित करते हैं ।१६।पश्चात् दूसरी कामिनी बोली,इस सुंदरीने सचमुचमें परभवमें दान, व्रत,ध्यान तीर्थयात्रा, जप तप किया है । इसीके पुण्योदयसे इस भवमें इसने ऐसा सुयोग्य भर्तार पाया है। इतने में ही कोई ज्ञानवान स्त्री बोल उठी ठीक ऐसा ही है,यथार्थमें इसने Jain Eduen interational For Private & Personal Use Only www.library.org
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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