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________________ चरित्र प्रपन्न म्नकुमार नहीं रहा है ? ऐसे स्नेहरहित और बन्धुवर्गों को दुःखित करनेवाले कठोर वचन तेरे मुख से कैसे निकलते हैं ? हे वीर ! हे गुणों के आधार ! संयमका यह कौनसा समय है ? तू अभी युवा है, रूपवान है, इसलिये भोगोंके भोगने योग्य है। दीक्षा लेने योग्य नहीं है ।१४-१८। इसके सिवाय जिनेन्द्र भगवानने जो कहा है, उसे कौन जानता है कि, होगा या नहीं ? तू व्यर्थ ही क्यों भयभीत होता है ? तू वीरोंमें वीर है, धीरोंमें धीर है, योद्धाओंमें योद्धा है, मत्रियोंमें मन्त्रो है, विद्वानोंमें विद्वान है, भोगियोंमें भोगी है, सब जीवोंकी दया करनेवाला है, बन्धुजनोंमें प्रीति करनेवाला है, पंडित है, चतुर है, योग्य अयोग्यका जानने वाला है, सारांश यह है कि, सब प्रकारसे श्रेष्ठ है किसी गुण में कम नहीं है, इसलिये इस समय तेरे दीक्षा लेनेके वचन युक्तियुक्त नहीं जान पड़ते हैं।१९:२२॥ अपने मलीनमुख बन्धुओंको मोहके वशीभूत जानकर प्रद्युम्नकुमार बोला, हे पूज्य पुरुषों ! केवली भगवानके वचन कभी अन्यथा नहीं हो सकते हैं। जो सम्यग्दर्शनसे विभूषित हैं. उन्हें इस विषयमें जरा भी सन्देह नहीं करना चाहिए । मैं भयभीत नहीं हुआ हूँ। सारी पृथ्वीमें मुझे किसीका भी भय नहीं है । जीवधारियों को अपने पुराने बांधे हुए कर्मों के सिवाय और किसीका कुछ भी डर नहीं है । संसारमें न कोई सज्जन बंधु है, और न कोई दुर्जन तथा शत्रु है। न कोई किसीको कुछ (सुख दुख) दे सकता है, और न कोई किसीका कुछ ले सकता है । इस असार संसारमें जीव अनादि निधन है। अगणित भवोंमें इसके अगणित बंधु हुए हैं। फिर बतलाओ, किन किन बन्धुओंके साथ स्नेह किया जाय ? सभी बन्धु हैं ऐसा समझकर आप सब पूज्य पुरुषोंको शोक नहीं करना चाहिये । शोक बड़ा दुखदाई है । प्रद्युम्नकुमारके ऐसे वचन सुनकर श्रीकृष्णजीका हृदय दुःखसे भर आया ! उन्हें शोकसे गद्गद् देखकर विद्वान कामकुमारने कहा, हे तात ! आप क्या शोक करते हैं ? आप तो सबको उपदेश देने वाले हैं ! क्या प्रकाशवान सूर्यको भी दीपक दिखलानेकी आवश्यकता होती Jain Educatio international For Privale & Personal Use Only www.Melibrary.org
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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