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________________ चरित्र बुलाया गया। श्रीकृष्ण और बलदेवजीने एकान्तमें लेजाकर उससे श्रीनेमिकुमारका सब वृत्तांत पूछा। उसने कहा हे नारायण ! व्यर्थ ही चिंता मत करो। श्रीनेमिकुमार राज्य नहीं करेंगे। वे जल्दी ही दीक्षा लेंगे। जीवोंका विनाश देखकर वे राज्य और परिच्छेदको छोड़ देंगे और गिरनार पर्वतपर जाकर मोक्ष प्राप्त करेंगे, इसमें सन्देह नहीं है ।३०३३। वसन्त ऋतुका उत्तम समय था पहुँचा। अमराई मौर गई । कोकिलाओंके शब्द सुनायी पड़ने लगे। नगारोंके शब्दसे सब लोगोंकी वसन्तके श्रागमनकी सूचना देकर श्रीकृष्णजी वनक्रीड़ाके लिये जानेको उत्सुक हुए। पहले उन्होंने अपनी रानियोंके पास जाकर उन्हें श्रीनेमिनाथके विषयमें कुछ इशारेसे समझाया और फिर हाथीपर चढ़कर बहुतसे सेवकोंको लेकर वनको गमन किया।३४-३६। उनके चले जानेपर श्रीकृष्णकी सत्यभामा रुक्मिणी आदि रानियोंने श्रीनेमिकुमारके समीप जाकर कहा, हे जिनराज ! उठो, इस वसन्तके समयमें तुम्हें रमण करनेके लिये वनको चलना चाहिये। तुम्हारे भाई (श्रीकृष्ण) तो कभीके चले गये हैं। सुनकर उन्होंने कहा, मेरा जाना उचित नहीं है, मैं नहीं जाऊंगा। परन्तु रुक्मिणी आदि रानियोंने नहीं माना, वे उन्हें जबर्दस्ती वनमें लिवा ले गई ।३७-३९। श्रीकृष्णजी उस वन में पहले ही से पहुँच गये थे। गोपियोंके साथ बहुत समय तक क्रीड़ा करते २ जब उन्होंने नेमिकुमारके आनेका समय निकट समझा, तब किसी दूसरे वनको चले गये और जाते समय श्रीनेमिनाथ के विषयमें गोपियोंको कुछ सिखावन दे गये। उनके चले जाने पर गोपियां नेमिकुमारके साथ मनोहर क्रीड़ा करने लगीं। कोई केशर उलीचने लगी, कोई चन्दन डालने लगी, कोई पिचकारी मारने लगी, और प्रेमके भारसे उन्मत्त हुई अनेक सुन्दरियां वृक्षके फूल तोड़नेके मिससे नेमिनाथको अपने कुचोंके श्राघातसे ताड़ित करने लगी।४०-४२। इसप्रकार श्रीकृष्णजीकी गोपियोंने और रानियोंने अपने देवरके साथ लज्जारहित होकर बहुत Jain Educal international For Private & Personal Use Only www.jadrjebrary.org
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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