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________________ प्रपन्न २०१ कसे हुए उच्चैःश्रवाके समान घोड़े को हाथसे पकड़े हुए वहां गया, जहां भानुकुमार अपने घोड़ों को फिरा रहा था । भानुकुमारने इस घोड़े वालेको देखकर प्रसन्नता से कहा, हे बुड्ढे यह घोड़ा किसका है, और तू इसे क्यों लिये है सब सच्चा सच्चा कह । २ ५। घोड़े वाला बोला, हे श्रीकृष्णपुत्र यह बहुत ही अच्छा घोड़ा है, यह मेरा है, यही देखकर इसे मैं बेचता हूँ । परंतु दूसरे लोग जो इसे चाहते हैं, नहीं ले लेवें, केवल तुम्हारे ही लिये मैं परदेश से लेकर आया हूँ । ६-७। तुम सत्यभामा के पुत्र हो, अतएव यह घोड़ा तुम्हारे ही योग्य है । दूसरे लोगोंको ऐसा घोड़ा दुर्लभ है । अतएव यदि आवश्यकता हो तो स्वीकार करो । अर्थात् इसे ले लो | ८ | यह सुनकर भानुकुमार ने कहा कि यदि तू घोड़े को बेचना चाहता है तो मुझसे मूल्य कह दे क्या है || घोड़े वाला बोला, मैं सत्य कहूँ, या असत्य, भानुकुमारने इस प्रश्नसे हँसकर कहा, जो तुम सरीखे उत्तम वृद्ध और सभ्य पुरुष होते हैं, उनके मुहसे कभी सत्य वचन नहीं निकलते हैं । १० - ११ । घोड़े वालेने यह सुनकर कहा कि, मैं घोड़ेका मूल्य एक करोड़ मुहर लूंगा । यह सुनकर भानुकुमार ने कहा, क्या तुम मुझसे हँसी करते हो ? बुड्ढा बोला, हे वत्स ! तुम तो श्रीकृष्णनारायण के पुत्र हो तुम्हारे साथ मैं कैसे हँसी करूंगा ! और हास्य है, सो नीच पुरुषोंमें ही आदरकी वस्तु है । अर्थात् हँसी करना नीचोंका काम है । १२१३ । और मैं हँसी क्यों करूंगा ? मेरा घोड़ा बड़ा शक्तिशाली है । आप इसकी अच्छी तरहसे परीक्षा कर लीजिये । क्योंकि जो वस्तु ली जाती है, लोग उसे सब जगह परीक्षा करते हैं | १४ | भानुकुमार बोला, यह बात तुम सच कहते हो। मैं ऐसा ही करूंगा अर्थात् परीक्षा करके लूंगा | १५| ऐसा कहके वह श्रीकृष्णका पुत्र मूढमति भानुकुमार एकाएक उठा, और चंचल घोड़े पर सवार होकर उसे शीघ्रता से फिराने लगा । सो वह लक्षणशाली घोड़ा भी अपनी लीलायुक्त उत्तम चालसे भ्रमण करने लगा । सीधे पैरोंसे और वक्र पैरोंसे चलकर उसने क्षणमात्रमें भानुकुमारका चिच www.ja library.org Jain Education internat चरित्र For Private & Personal Use Only
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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