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________________ पम्न चरित्र इसप्रकार कहते हुए कौरवों पर टूट पड़े कि चलो ! पकड़ो ! बांधलो ! ये दुरात्मा भागकर कहां जावेंगे ? ।१५। वे भयंकर भील लाल २ पत्तोंकी टोपियां लगाये हुए थे, नानाप्रकारके वृक्षों की फलोंकी कंठियां गलेमें पहने हुए, उनके सिरके बाल कपिल, रूखे और बिखरे हुए थे, वे मैले कपड़ोंके चिथड़ोंको पहने हुए थे और उनकी आंखें छोटी २ थीं। इस प्रकारके उन अगणित काले भीलोंने आकर सारा प्रदेश घेर लिया ।१६-१७ जिस समय उन्होंने सेनाके सम्मुख होकर धावा किया, उस समय क्षणभर के लिये सारे कौरव व्याकुल हो गये ।१८। आखिर वे भी तलवार, बाण, भाला, गदा, शक्ति आदि अनेक प्रकारके शस्त्रों को लेकर साम्हना करनेको तैयार हो गये ।१६। हाथी घोड़ों और रथोंपर चढ़े हुये शूरवीर तथा नानाप्रकारके वाहनों पर चढ़े हुए राजा शीघ्र ही भीलोंके सन्मुख चल पड़े। राजा लोग अपने सुभटोंसे बोले इन भोलोंको शीघ्र पकड़लो, अपना समय जा रहा है ।२०-२१॥ राजाओं और भीलोंका परस्पर युद्ध होने लगा। भीलोंने पत्थरों और वाणोंकी वर्षासे राजाओं को इस तरह मारा कि उनके घोड़े अपने सवारोंको पटककर सेनामें भ्रमण करते हुए दूसरे लोगोंको कुचलने लगे।२२-२३। हाथी मदरहित होकर चिंघाड़ मारते हुए भयके मारे रणमें भागने लगे ।२४। बड़े २ रथ जर्जर होकर टूट गये और धराशायी हो गये । इसीप्रकार से जो रसदकी गाड़ियां थीं, वे भी टूट गई। उनमें रखे हुए घीके कुप्पे गिर पड़े। गेहूँका पाटा, मृगकी दाल तथा चावल जमीनमें बिखर गये ।२५-२६। इसके सिवाय जितने शूरवीर थे, सबके सब वस्त्र तथा आभूषणोंसे रहित होकर गिर पड़े। यह देखकर भील लोग हँसने लगे। और शूरवीर अपनी दुर्दशा पर सोच करने लगे।२७। उसी समय रस्सियां छूट जाने से बैल इधर उधर दौड़ने लगे, जिन्हें कौरव लोग भी पकड़कर नहीं बँभा सके ।२८। हाथियोंके बच्चे, घोड़े, गधे, बैल, ऊंट भीलोंकी मारसे करुणा उत्पन्न करनेवाली चिल्लाहट करने लगे। वे अपने Jain Educato Interational For Private & Personal Use Only www.jairelibrary.org
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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