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________________ घुम्न २९४ जैसे राजपुत्र ऐसे एक भीलको कर देदेगें, यह ठीक नहीं है । किसी योग्य पुरुषको ही कर देना चाहिये । यदि कोई राजपुत्र होता तो दे देते । २००। ऐसा कहकर वे सबके सब राजपुत्र उत्सुक होकर उस भीलको अपने सब तरफ फैले हुए धनुषसे रोकने लगे |१| तब भील भेषधारी बलवान प्रद्युम्नने भी सब सेनाको जल्दी ही अपने उसी धनुषसे वेष्टित करली । इस प्रकार से वह भील इस सेनाको वेढ़ कर खूब जोरसे खिलखिलाकर हँसा, तथा कहने लगा, हे सुकुमार कुमारो तुम सब कुरु राजाकी पुत्री मुझे क्यों नहीं देते हो? मैं श्रीकृष्णका बड़ा लड़का हूँ, और इस वनमें निवास करनेवाले भीलोंका राजा हूँ। मैं सुन्दररूपका धारण करने वाला नहीं हूँ, क्या इसीलिये तुम सब मूर्ख मुझे उदधिकुमारी नहीं देते हो ? | २-५ यदि तुम उस जगत्प्रसिद्ध कुमारीको मुझे दे दोगे, तो निश्चय समझो कि, श्री कृष्णनारायणको भी बहुत सन्तोष होगा | ६| क्योंकि इस संसार में न तो उसके समान कोई कन्या है, और न मेरे समान मनुष्यों में कोई उत्तम वर है | ७| परन्तु यह सब कुछ भी न करके तुम सब कौरव यहां से जबर्दस्ती जाना चाहते हो, तो मुझसे जल्द कहदो, जो मैं तुम्हारे लिये कुछ यत्न करूँ || यह सुनकर वे बोले, तुझे जो यत्न करना हो, सो कर । हम अभी तुझ पापीको मारकर यहां से चले जावेंगे |९| उनके इसप्रकार कहने पर भीलका वेष धारण करने वाले प्रद्युम्न कुमारने अपनी विद्याओं का स्मरण किया और उन्हें अपने समान बलवान भील तैयार करने की आज्ञा दी |१०| फिर क्या था वहाँपर तत्काल ही भीलोंकी एक बड़ी भारी सेना प्रगट होगई, जिससे चारों दिशायें व्याप्त होगईं । कृष्णमूर्ति भीलोंकी सेना नानाप्रकार के आयुध और तीक्ष्ण बाण लिये हुये थी । लकड़ी, काठ, पत्थर, आदि परिग्रहकी भी उसके पास कमी नहीं थी । ११-१३। उस समय कौरव योद्धाओंने देखा कि पृथ्वी, पर्वत, वृक्ष कंदरा आदि सारा विश्व जहां तहां भीलोंमय ही हो रहा है | १४ | करोड़ों भील इस श्लोक का अर्थ नहीं लगा- प्रकरण देखकर सम्बन्ध जोड़ दिया है। For Private & Personal Use Only Jain Educa International चरित्र www.jarelibrary.org
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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