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कुशल करने वाले हैं। अर्थात् भूले हुोंको रास्ता बताने और रक्षा करने वाले हैं। भीलके वचन प्रद्युम्न || सुनकर वे कौरव वीर मुसकुराके बोले, हे मूर्ख ! यदि तू सबसे उत्तम और सुखदाई वस्तु चाहता है, २१३
तो हमारे राजाकी गुणवतो कन्याको ले ले क्योंकि इस सेनामें उत्तम और सुखदाई वस्तु वही है ।८४८६। यह सुनकर भील हँसा और बोला,—यदि वह पुत्री ही तुम्हारी सेनामें अच्छी है, तो उसीको दे दो।८७। हे शूरवीरों ! यदि तुम उसे देकर इस बनसे जानोगे, तो तुम्हें इस बनमें कुछ भी भय नहीं रहेगा। इसके सिवाय मुझे सन्तुष्ट करनेसे निश्चय समझो कि श्रीकृष्ण महाराज भी सन्तुष्ट हो जावेंगे। क्योंकि उन्होंने मुझे पूर्वमें ही वचन दे दिया है कि, सारे संसारकी वस्तोंमें जो सारभूत वस्तु हो, वह तू ले लिया कर । उनकी इस प्राज्ञासे ही मैं इस वनमें रहता हूँ।८८-६०। भीलके वेष में जब प्रद्युम्नने उपरोक्त बातें कहीं, तब वे सब सुभट क्रोधित होकर बोले-अरे मूर्ख श्रीकृष्णजीने तुझसे ऐसा भी कह दिया तो क्या हुआ ? जो तू उदधिकुमारीको जबरदस्ती ले लेना चाहता है।६१. ६२। अरे पापी ! तू ऐसे पापरूप और निर्लज्जताके वचन क्यों कहता है ? तेरे सरीखे मूर्खको वह वैसे मिलना तो दूर रहा, विचारसे भी नहीं मिल सकती है ।९३। तेरे नेत्र लाल लाल और विकराल हैं, बाल कपिल रंगके हैं, दांत सफेद हैं, और शरीर काला है। इसप्रकारके कुरूप भीलके देने योग्य वह कन्या नहीं है । वह तो पुण्यवान पुरुषके योग्य है, तेरे जैसे पापीके योग्य नहीं है ।।४-९५। यदि तू उस लोकदुर्लभ बालाको पानेकी इच्छा करता है, तो शीघ्र ही जाकर किसी पर्वत परसे गिरकर मर जा ।।६। क्योंकि तेरी यह जाति व्रताचरणों की धारण करने वाली नहीं है, निन्दनीय है । अतएव इस जन्ममें तुझे नहीं मिलसकती है। हां दूसरे जन्ममें तुझे इसकेसमान कोई दूसरीकन्या प्राप्त हो जावेगी ।१७। इसीबीचमें कई एक योद्धा कुपितहोकर बोले, इस पागलके साथ बकवाद क्यों बढ़ा रहे हो ? चलो, इसे दूर करके ही चलें। यदि श्रीकृष्ण अपनेसे नाराज हो जायेंगे तो क्या कर लेंगे।६८-९६। अपने
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