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________________ प्रद्युम्न चरित्र जल्दीसे उस वनमें पैठ गया ।२८। और वहां पहुँचकर उसने वहांके महाबल नामक दुष्ट दैत्यको जीत लिया। जिससे संतुष्ट होकर उसने मदन, मोहन, तापन, शोषण और उन्मादन नामक पांच विख्यात पुष्पवाणोंके सहित एक पुष्पधनुष्य दिया। पूर्व पुण्यके प्रभावसे उसी समयसे मनुष्योंको मोहित करने वाला और स्त्रियों को उन्मादन करनेवाला वह कुमार यथार्थमें मदन अर्थात् कामदेव नामको धारण करने वाला हुअा ।२६-३१। इस लाभको लेकर पाते हुए देखकर वे सबके सब विद्याधरकुमार दुःखी हुये और फिर क्रोधके वश उसे भीमा नामको दुष्ट गुफामें जो भयङ्कर सर्पका रूप धारण करने वाली थी, पहले जैसी छल कपटकी बातें करके ले गये । सो प्रद्युम्नने उस गुफामें भी जल्दीसे जाकर उसके अधिकारी देवको जीत लिया और उससे भी एक पुष्पमयी छत्र और एक पुष्पमयी सुन्दर शय्या ये दो चीजें भेंट में प्राप्त की ।३२-३४॥ उस देवने इनकी पूजा मानता करके और नमस्कार करके इन्हें विदा कर दिया, सो ये जल्दीसे लौट आये। मनुष्यों को पुण्यके प्रभावसे निरन्तर सुख ही प्राप्त होता है ।३५। प्रद्युम्नको लाभसहित लौटा देखकर वे दुष्टबुद्धि राजकुमार अपने बड़े भाईसे बोले, अब हम लोग प्रद्युम्नको अवश्य मारेंगे। क्योंकि इस तरह यह दुराचारी जहां जाता है, वहांसे कुशलपूर्वक लाभसहित लौट आता है। देवसे भी यह नहीं मारा जाता है ।३६ ३७। अतएव अब हम इसे खड्ग की चोटसे मार डालते हैं इसमें संशय नहीं है । आप एक अोर मौन धारण करके बैठे रहें, और हम को न रोकें ।३८। तब वजदंष्ट्र बोला, मेरी बात सुनो। अब भी शत्रुका घात होने योग्य दो स्थान बाकी हैं । सो वहां लेजाकर हम इस दुष्टको अवश्य मार डालेंगे तब तक दुष्टचित्त प्रद्युम्नके विषयमें कुछ भी नहीं करना चाहिये ।३६-४०। इतनेमें प्रद्युम्न आ गया और उससे सब भाई मिले। पश्चात् उसे छल करके विपुलनामके वनमेंलेगये।४११ जहाँ श्रीजयन्तनामका नानाप्रकारके वृक्षों तथा लतावल्लीसे Jain Educa interational For Private & Personal Use Only www.jabibrary.org
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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