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________________ बन्न हरिवंशशिरोमणि श्री नेमिनाथ तीर्थकरके जो ज्येष्ठ भ्राना, नवमें नारायण, द्वारिकानाथ, श्री कृष्णराज होंगे, तथा उनकी जो गुणवती, रुक्मिणी नामकी रानी होगी, उसके गर्भसे पुण्यके प्रभावसे प्रद्युम्न नामका महाबली पुत्र होगा । सो जब वह मणिगोपुरमें आवेगा, तब वही बलवान, पराक्रमी, धीर, गंभीर, रूपवान कुमार इन विद्याप्रोंका स्वामी होगा। जिन भगवानके मुखसे ऐसी वार्ता सुनकर राजा हिरण्यनाभिने मुझसे कहा कि, जो कोई गर्वशाली, बलवान, तथा सर्वमान्य पुण्य, मणिगोपुरमें श्रावे और तुझसे युद्ध करनेको कमर कसके तैयार हो जावे, वही इन सब विद्याोंका नायक होगा, इसलिये तुम “गोपुर” में जागो और वहीं तिष्ठो । इतना कहकर राजा हिरण्यनाभिने दीक्षा ग्रहण कर ली। ।८३-८८। अनेक शास्त्र पठन किये, अात्म स्वरूपका ध्यान किया, घातिया कर्मों का विनाशकर केवलज्ञान प्राप्त किया और अन्तमें अघातिया कर्मों को निर्मूलकरके परमपदको प्राप्त हुए।८। अज्ञानुसार मंत्र मण्डलकी रक्षा करता हुआ और आपकी वाट देखता हुआ हे महाभाग्य उसके कहनेके कारण मैं इस गोपुरमें रहता हूँ।९०। अब आप इन मंत्रगणों को (विद्याओंको) ग्रहण करो ये निधि तथा कोष भी अङ्गीकार करो क्योंकि हे विभो मुझे यहां रहते बहुत समय बीत गया है । पश्चात् अमोलक रत्नोंका बना हुअा मुकुट और दिव्य आभरण देकर और प्रद्युम्नको पूजा करके वे विद्यायें बोली।९१६२॥ हे महाराज वे श्रीनमिनाथ स्वामीकी दिव्यध्वनिसे हमने जैसी आपकी शोभा सुनी थी वैसी ही आज साक्षात् देखी। आप ही हमारे स्वामी हो इसमें सन्देह नहीं। हम सब आपकी किंकरी हैं हमारे लायक चाकरी हो सो कहो।।३। तब श्रीप्रद्युम्नकुमार बोले-आजसे हमने तुम्हें अपना किंकर किया यह निश्चय समझो। अब जब हम याद करें तव हाजिर होना ।४। उधर जब वजदंष्ट्र धूर्तने देखा कि गोपुर गुफाके भीतर प्रद्युम्नको बड़ी देर लग गई है तब | वह प्रसन्न होकर अपने भाइयोंसे बोला-भ्रातागण सच समझो आज दैत्यके द्वारा प्रद्युम्न मारा गया। Jain Educa international R For Private & Personal Use Only www. library.org
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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