SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 146
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आवाज है, ओर मलयावलका सुगन्धित वायु है, मो ही गन्धर्व गुरु बनकर मानों वनकी श्रेणियोंको नृत्य कराता है ।५५-५६। ऐसा कोई भी वृक्ष नहीं दीख पड़ता था, जिसमें पुष्य न लगे हों, और ऐसे कोई पुष्प न थे, जिनपर भ्रमर गुञ्जायमान न हों ।५७। इमप्रकार जब वसन्त ऋतु पृथ्वीपर फैल रही थी तव राजा मधु कामके वाणोंगे सर्वथा घायल हो रहा था ।५८। उसकी कामाग्निको मोतियोंके हार, घनसार, कमल, केलेके पत्ते तथा ताड़पत्रके पंखेकी हवा, चन्दन, चन्द्रमाकी चांदनी आदि संसारमें जितने शीतोपचार हैं, कोई भी शमन न कर सके ।५९-६०। मा ठीक ही है, कामिनीकी विरहज्वालासे संतप्त पुरुपके लिये कमल-चन्दनादि कौन २ औषधियां विपके सदृश नहीं हो जाती हैं ? १६१। राजा मधुको चन्द्रप्रभाकी वियोग अग्निमें इसप्रकार तप्तायमान देखकर कुटुम्ब-परिवारके सब मनुष्य शोक करने लगे।६२। परन्तु मंत्रीने लज्जा वा भयके वशसे राजाको मुहतक नहीं दिखाया उधर राजाने वियोगकी प्रागसे पीड़ित हो खाना पीना मब छोड़ दिया ।६३। एक दिन राजा मधुके जीवनकी अाशा न देखकर कुटुम्बी जनोंने उसे जमीन पर सुला दिया। जब किसीने जाकर प्रधानमंत्रीसे यह समाचार कहे ।६४। और मंत्रीने ज्योंही यह वृत्तांत सुना त्योंहि उस स्थान पर पाया, जहां धरतीपर राजा बैचेन पड़े हुए थे।६५। निकट जाकर मंत्रीने विनयसे नमस्कार किया और सन्मुख बैठ गया यह दे व राजाने उसके गलेमें अपनी दोनों भुजायें डाल दी, और पूछा मंत्री ! मेरे मरनेगर तेरे चिनका समाधान कैसे होगा ? ॥६६-६७। तब वह चतुर मन्त्री चिन्ता करने लगा, कि राजा घोर दुःखमें पड़ा हुआ है, अब मैं क्या करूं? कहां जाऊं? किससे पूछू और क्या कहूँ ? ।६८। यदि में छलबल करके हेमरथ राजाकी चन्द्रप्रभा प्रियाको उड़ाके ले आऊ, तो यह बनी बात है कि, राजा मधुकी अपकीर्ति जगतमें फैल जायगी।६६। और यदि में उस नवयौवनाको लाकर इससे न मिलाऊ, तो राजा प्राण तज देगा इममें सन्देह नहीं है ७०। जब ये Jain Educand interational For Private & Personal Use Only www.jaimelibrary.org
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy