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________________ म्न जिसमें संग्रामकी भूमि समुद्रकी उपमाको प्राप्त हुई ! समुद्रमें मनोहर जल तरंग उठती हैं और संग्राममें घोड़े क्रीड़ा करते हैं समुद्रमें लहरोंके उछलनेसे फेन उत्पन्न होता है और संग्राममें स्वच्छ श्वेत-चमर । चरित्र दुलरहे हैं समुद्र किनारे पर्वतोंके टुकड़े २ करडालता है और संग्राममें पर्वतकेसमान उन्नतहाथियों के शस्त्रों द्वारा खण्ड २ होरहे हैं, समुद्रमें अनेक प्रकारके मोती निकलते हैं और संग्राममें हाथियोंके मस्तक खण्ड खण्ड होनेसे गजमुक्ता (मोती) निकल रहे हैं, समुद्रमें अनेक रत्न उत्पन्न होते हैं और संग्राममें योद्धाओंके मुकुटों में से टूटकर अनेक रत्न गिर रहे हैं, समुद्रमें मगरमच्छ होते हैं और संग्राममें हाथियोंके कटे हुए पांव हैं वही मगरमच्छ सदृश हैं समुद्रमें मछलियां होती हैं और संग्राममें घोड़ोंके छिन्न-भिन्न चरण हैं वही मीनके समान हैं, समुद्रमें कछुवे होते हैं और संग्राममें सुभटोंके कटे हुए मस्तक जो लोहमें गिर रहे हैं वे ही कछुवे हैं समुद्रमें काई होती है और संगाममें सुभटोंकी आंतें मांस अस्थि श्रादि सेवाल हैं, समुद्रमें जल भरपूर रहता है और संगामभूमि रुधिरसे डबाडब भर रही है।१६-२२॥ इन सब पदार्थो से समस्त सेना महासमुद्रकी समानताको प्राप्त हुई और उसमें अनेक सुभटोंके प्राण विनाशको प्राप्त हुए ।२३। इसप्रकार महायुद्ध में अयोध्यापति महाराज मधुने भीमराजका पराजय किया और उसे दैवयोगसे जीवित बांध लिया ! चारों ओर जय जयकार होने लगा ! राजा मधु शत्रुको वश करके और फिर उसे दूसरे देशमें छोड़कर तथा उसके स्थान में अपने शूरवीर कुलागत सामन्तोंको छोड़कर अपनेको कृतार्थ समझता हुअा अयोध्यापुरीकी ओर रवाने हुअा १२४-१२५। संगाम भूमिसे लौटते समय मार्ग में अनेक देश के राजा मधु महाराजा के पुण्य के प्रभाव से अनेक प्रकारकी भेटें ले लेकर मिलनेको आये, सो उन्हें अपना शासन स्वीकार कराके आज्ञाकारी बनाके निज-निज देश में स्थापित करके मधुराजा आगे बढ़े। उस समय राजा मधुने पहली बात याद करके अपने मन्त्री से कहा, कि मैं अब वटपुरको सेना सहित अवश्य जाऊँगा, जहां कि चित्तको Jain Education remational For Private & Personal Use Only www.jaineetry.org
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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