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प्राक
यमराज पर प्राणधारी आ झपटे हैं, अथवा गरुड़के ऊपर सर्प इकट्ठे होकर आ पड़े हैं।१०५। तब मन्त्रीने मस्तक नमाकर निवेदन किया महाराज ! सचमुच में राजा मधु बड़ी जंगी सेना लेकर आया है । चरित्र
और उसने नगरको वेढ़ लिया है ।१०६। उसके भयसे मनुष्योंने शहर कोटके कपाट जड़ लिये हैं और वह अपनी सेना महित नगरके बाहर डटा हुआ है गर्ज रहा है, ।१०७। यह समाचार सुनते ही भीमराज कोपायमान हुआ और घमण्डमें चकचूर होकर बोला, मन्त्री ! मेरे नगरके निवासी क्या इतने कायर और डरपोक हैं ? उनसे कह दो कि, कपाट न जड़ें।१०८। ऐसे क्षुद्रके आने पर कपाट जड़देना निपट अनाड़ीपना है ! मैं अभी शहरके बाहर जाकर उससे युद्ध करता हूँ।१०६। ऐसा कह कर और तत्काल बड़ी सेना साथमें लेकर शूरवीरताके शब्दोंकी गर्जना करनेवाला राजा भीम झपाटेसे नगर के बाहर निकल पड़ा ।११०।
चार प्रकारकी सेना (हाथी सवार, घोड़ेसवार, रथ सवार, और प्यादे) सहित राजा भीमको बाहर आया देखकर महापराक्रमी बलवान् राजा मधु अपनी सेनासहित तैयार हो गया, ।११। थोड़ी ही देर में दोनों पोरकी अतिशय उद्धत, मदोन्मत्त, और शूरवीर घटाटोप सेना सुसज्जित होकर खड़ी होगई।१२। दोनों ओरके बाजोंके उच्च शब्दोंसे बन्दिजनों (भाटों) के जयजयकारके शब्दोंसे रथोंके चीत्कार शब्दोंसे घोड़ोंके हिनहिनानेसे हाथियोंकी गर्जनासे ! सुभटोंकी खिलखिलार हँसीसे और धनुषोंके टंकारेके शब्दोंसे वहां कानोंसे कुछ भी सुनाई नहीं पड़ता था ।१३-१४। ऐसे महाविकराल युद्धके भयङ्कर शब्दोंको सुनकर कायर पुरुषोंके हाथमेंसे युद्धके शस्त्र गिरने लगे और शूरवीरोंके शरीर में हर्ष रोमांच उठने लगे।१५। दोनों सेनामें परस्पर हुँकारे शब्दों से, वध करनेसे तथा चोट मारनेसे घोर युद्ध हुश्रा ।१६। खड्ग, कुत, बाण, तीर, चक्र, मुद्गर, किर्चा, नाराच, (लोहमयीवाण), भिदिपाल (गोफण) गदा, हल, शक्ति, मूशल, भाला, तलवार, लाठी, मुष्टी आदिसे भयानक युद्ध हुअा १७-१८॥
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