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________________ प्रद्यम्न चरित्र मोक्ष के साधक हैं। पश्चात् गृहस्थोंके बारहव्रत कहे जो इसपकार हैं:--पंचअणुव्रत तीनगुणव्रत (दिग्वत, भोगोपभोगपरिमाण, अनर्थदण्डत्याग ) और चार शिक्षाव्रत ( देशावकाशिक, सामायिक, प्रोषधोपवाम, वैयावृत्य ) और फिर श्रावकोंके अष्टमूलगुणोंका अर्थात् ऊबर, कठम्बर (अंजीर ) बड़ पीपर, पाकर इन 8 पंचोदुम्बरोंका तथा मद्य मांस और मधु इन तीन मकारोंके त्याग करनेका वर्णन किया। इस प्रकार गृहस्थधर्मको कहा। यह गृहस्थधर्म स्वर्गादि सुखका दाता है (और परम्परासे मोक्षका साधक है ) इसलिये भव्यजीवोंको अपने हिताहितका विचारकरके पहले इसीका पालन करना चाहिये । श्रेणिक राजाको धर्म का स्वरूप सुननेसे अपार आनन्द हुआ। क्योंकि “भव्यात्माओं को धर्मकथासे ही सन्तोष होता है" ॥ ५८-५६ ॥ उसी समय प्रस्तावना करनेका प्रसंग पाकर राजा श्रेणिकने अपने हाथ जोड़कर इसतरह निवेदन किया कि, हे भगवन् ! कृष्ण नारायण के पुत्र प्रद्युम्नका चरित्र सुननेकी मेरी अभिलाषा है । वह कहाँ उत्पन्न हुआ, उसे शत्रु कैसे हर ले गया, उसने कैसे २ धर्मकृन्य किये, उसकी किस २ प्रकारकी श्रेष्ठ विभूति हुई, तथा वह किस प्रकार युक्ति, शक्ति, पराक्रम, धैर्यका धारक हुअा, अाएके प्रसादसे में ये सब बातें सुनना चाहता हूँ। आप संदेहरूपी अंधकारको दूर करनेमें सूर्य के समान हो, इसलिये मेरे सन्देहको दूर कीजिये। तब वीरनाथ भगवानने कहा-हे राजन् ! तुमने बहुत अच्छा प्रश्न किया है। प्रद्युम्नका चरित्र पापका नाश करनेवाला है। पृथ्वीतलपर विना पुण्योदयके प्राणियोंको ऐसे चरित्रके सुननेका अवसर नहीं मिलता है । इसीसे भव्य और अभव्य जीवोंकी वास्तविक पहिचान होती है (अर्थात्जो भव्यजीव होते हैं, उन्हींको यह चरित्र सुननेका अवसर प्राप्त होता है, अभव्योंको नहीं। जिसने अनेक आचार्यों ने पंचोदुम्बरके स्थानमें पचअणुव्रतको भी ग्रहण किया है। । Jain E lon International www.library.org For Private & Personal Use Only
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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