SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 138
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ MiORRY AP "4 का वटपुरमें प्रवेश कराया ४८-५०। पश्चात् उन्हें अपने महलमें ले गया और रत्नोंका चौक पूरके सुवर्ण के सिंहासन पर बिठाया ।५१॥ चरित्र तब हेमरथ राजाने अपनी चन्द्रप्रभा रानीसे कहा हे मृगक्षणे ! तू स्वयं जा और राजा मधु का सत्कार कर और मंगल आरती उतार ५२। तब चन्द्रप्रभा बोली, हे नाथ मेरी प्रार्थना सुनो,ऐसी नीति है कि, जो अपनी मनोहर चीज हो, उसे राजाओंको न दिखलाना चाहिये, कारण उस चीज को देखकर राजाओंका चित्त सचमुच में चलायमान होजाता है इस कारण श्राप दूसरी रानीको वहां भेजकर यह कार्य करा लेवें मुझसे यह काम न करावें ।५३.५४। तब राजा हेमरथ बोला,-हे देशी तू बड़ी भोली है उसके यहां तेरे समान रूपवान मैकड़ों दासी हैं, इसलिये हे शुभमुखे वह तुझपर रंच मात्र भी पापदृष्टि न धरेगा, तू अपने चित्तकी शल्यको निकाल डाल और तू ही मेरे साथ चल और राजा मधुकी आरती उतारकर सन्मान कर ।५५-५६। अपने भर्तारका अत्यन्त अाग्रह देखकर रानी चन्द्रप्रभाने एक सुवर्णके मनोहर थालमें उत्तमोत्तम बहुमूल्य मोती धरे और दधि-अक्षत मोती श्रादि मंगलीक द्रव्य भी उसमें रखलिये और राजा हेमरथ की आज्ञा से सोलह शृंगार करके वह मधुराजाके पास गई । राजा हेमरथ चन्द्रप्रभा रानीने तंदुल मौक्तिक आदिसे बड़े विनय और भक्तिसे मधुराजाकी भारती की ।५७-५९। राजा मधु अपने साम्हने उस सर्व शुभ लक्षणों की धारक, सर्वांग सुन्दर, मनोहर रानी चन्द्रप्रभाको देखकर कामबाण से घायल होगया ।६०-६१। और मनमें विचारने लगा यह लक्ष्मी है, कि इन्द्राणी है, पार्वती है कि चन्द्रकी स्त्री रोहिणी है, कामकी वल्लभा रति है, कि यशकी मूर्ति है, कि कीर्तिकी छवि है ? यह क्या है ? कौन है ? ॥६२.६३। लोगोंका कहना है कि चन्द्रमा सागरसे । उत्पन्न हुआ है, परन्तु मैं तो केवल इसके गालों पर पसीनेके बिन्दु ही चन्द्रमा जैसे देखता हूँ ।६४॥ Jain Education interational For Privale & Personal Use Only www.janorary.org
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy