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________________ १२८ - पद्मनाभको धारणी अत्यन्त प्यारी थी।४-५। इस रानीके साथ राजाने पूर्व पुण्यके प्रभावसे इच्छानु ___ प्रद्युम्न सार भोग-उपभोगकी सामग्री पाकर आनन्द लूटा और राज्यका कारबार उत्तम रीतिसे चलाया।६। इस पकार राज्य करते २ रानीके गर्भसे स्वर्गलोकसे चयकर दो पुत्रोंने अवतार लिया ।७। उस रानीकी कुक्षिसे सर्व शुभ लक्षणोंके धारक उन दो पुत्रोंकी उत्पत्ति हुई, सो ठीक ही है। क्योंकि पूर्वपुण्यके प्रभावसे मनोवांछित पदार्थकी प्राप्ति होती है।८। राजा पद्मनाभने पहले पुत्रका नाम मधु और दूसरेका कैटभ रक्खा । पुत्रोत्पत्तिकी खुशीमें राजाने बड़ा उत्सव किया ।९। जब वे रूपवान पुत्र सर्व शुभ लक्षणों के धारक, सर्वाङ्गसुन्दर यौवन अवस्थाको प्राप्त हुए, तब राजाने कुलवती, रूपवती, गुणवती कन्याओं के साथ उनका विवाह (लग्न) कर दिया।१०-११। एक दिन पद्मनाभ राजाने अपने नवयौवनसम्पन्न मनोहर मधु वा कैटभ पुत्रोंको देखकर विचार किया कि प्रथम तो मनुष्य जन्म ही पाना दुर्लभ है, उस में भी उत्तम उच्च कुलमें जन्म लेना, राज्यसुख, पराक्रम, हाथी, घोड़े, रथ, प्यादे, शूरता, स्त्री, पुत्र पौत्रादिका पाना बहुत दुर्लभ है । इससे भी जैनधर्मका पाना पुण्यहीनोंके लिये अत्यन्त कठिन है । परन्तु पुण्योदयसे ये सब सामग्री मुझे प्राप्त हुई है ।१२-१५। जो कुछ संसारमें प्राणियोंको भोग उपभोगकी वस्तुएँ मिलती दीख पड़ती हैं, वे सब पुण्यके प्रभावसे मुझे प्राप्त हुई हैं ।१६। इसलिये अब मुझे आत्मकल्याण करना चाहिये, जिससे मैं अजर अमर स्वरूप मोनकी नित्य अवस्थाको प्राप्त कर सकू।१७। इसपकार बहुत देरतक विचार करने के पश्चात् राजा पद्मनाभके हृदयमें वैराग्यछटा प्रकाशमान हुई । उसने सामन्तोंके साम्हने अपने मधु नामक पृथमपुत्रको राज्याभिषेक पूर्वक राजतिलक करा कैटभको युवराज बना दिया ।१८। तत्पश्चात् वह राजा हजारों स्त्रियों के परिग्रहको छोड़कर वैराग्य भूषित अनेक राजपुत्रोंके साथ श्रीनिन्थ गुरुके चरण शरणको पाप्त हुआ और वहां उसने आलोचना करके भक्तिपूर्वक जिनदीक्षा ले ली। इसपकार पद्मनाभ राजा शीलधारक यतिके पदस्थको प्राप्त हुआ। Jain Educak www.janllbrary.org For Private & Personal Use Only international
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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