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________________ प्रचम्न १११ कला, (वाक्पटुता) चतुराई, चित्त की निर्मलता, धनधान्यादिक तीनलोक की प्रसिद्ध २ वस्तुएं और चन्द्रके समान निर्मल यश इस प्राणीको सहज में ही प्राप्त होता है । यह सब पूर्वभव के संचित पुण्यका चरित्र ही प्रभाव है, ऐमा जानकर भव्य जीवोंको रुचिपूर्वक धर्मधन संचय करना चाहिये । ५६६। इति श्रीसोमकीर्तिआचार्याविरचित प्रद्युम्नचरित्र संस्कृतग्रन्थके नवीन हिंदीभाषानुवाद में नारदमुनिका महाविदेह में जाना, श्री सीमंधर स्वामी के समवशरण में पहुँचना, चक्रवर्ती के प्रश्नानुसार दिव्यध्वनिद्वारा प्रद्युम्नके पूर्वभवसम्बन्धी अग्निभूति वायुभूतिका स्वर्गको प्राप्त होनाः इत्यादि वर्णनवाला बट्ठा सर्ग समाप्त हुआ । सप्तमः सर्गः । भरत क्षेत्र में कौशल नामका एक देश है जो स्वर्गके समान सुशोभित है । क्योंकि स्वर्ग में अप्सरसः अर्थात् देवांगनाएं हैं और इस देश में भी अप्सरसः अर्थात् स्वच्छ जलके सरोवर हैं |१| जहांके बगीचे में चम्पक, अशोक, पुंनाग, नारिंग यदि तरह तरह के वृक्ष लगे हुए हैं, जो फूलों के भारसे लद रहे हैं |२| जहांकी बावड़ी निर्मल जलसे भरी हुई है जिनमें सुवर्णकी बनी हुई सुन्दर सीढ़ियें हैं और कमल खिले हुए हैं | ३| जहांके तालाब, हंस वा सारस पक्षियोंके शब्दोंसे मानसरोवर के समान शोभायमान मालूम पड़ते हैं |४| जहांकी नदियोंमें खूब पानीका पूर आ रहा है, जिनमें गम्भीर भँवरें आती हैं, जिनसे वे ऐसी सुन्दर मालूम पड़ती हैं, जैसे मनोहरबुद्धि शोभायमान होती है | ५ | जिनका मध्यभाग गहरे पानीके शब्दायमान रहता है, और जिनकी किसी को थाह नहीं मिली, ऐसे बड़े बड़े उज्ज्वल जल के भरे सरोवर शोभित हो रहे हैं | ६ | जहांकी भूमि साँठोंकी (गन्नोंकी) बाड़ियों से सघन हो रही है, और स्थान २ में दानशालायें खुली हुई हैं |७| वहांके मनोहर ग्राम इतने निकट २ हैं कि, मुर्गा (कुकुट) एक गांव से उड़कर दूसरे गांव में पहुँच जाता है । जहाँ धनधान्यकी कमी व शत्रुका उपद्रव नहीं है । = जहां स्वप्नमें भी दुर्भित पड़ने की वार्ता नहीं सुनाई पड़ती और न सात प्रकारकी इतियोंका तथा चोर आदिकों का उपद्रव होता है |९| जहां कोई Jain Educato international For Private & Personal Use Only www.jairelibrary.org.
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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