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धर्मदूत इस प्रकार निर्णय होता वह उसी के अनुसार कार्य करने वर्ष आये और फिर साधु बन गये। आज भी वे त्याग लगता था। किसी भी महान् पुरुष की अच्छी तस्वीर के रूप में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अपने कमरे में रखने का यही लाभ है कि हम उनके जापान में बौद्ध धर्म का एक विशेष प्रकार का साथ मानसिक एकता स्थापित कर सके किसी भी संकट विकास हुआ है। वहाँ का एक सम्प्रदाय मुक्ति और शांति के समय जैसा उन्होंने किया वैसा हम भी अपने संकट
लाभ के लिये पढ़ना लिखना और तार्किक विचार करना काल में करें।
व्यर्थ समझता है। वह ध्यान को ही प्रधानता देता है। __ महान् पुरुषों का ध्यान मनुष्य की इच्छा शक्ति को इस सम्प्रदाय को "जेन बौद्ध" सम्प्रदाय कहते हैं। इस बली बना देता है। जो कुछ मनुष्य सोचता है वह सम्प्रदाय के लोग बड़े कर्मठ और ज्ञानी होते हैं। उनकी तत्क्षण वही हो जाता है। जब हम किसी उद्विग्न मन शान्ति-मुद्रा से संसार के बड़े-बड़े विद्वान् और दार्शनिक के व्यक्तिके विषय में चिन्तन करते हैं, उससे लड़ते झग. प्रभावित होते हैं। मनुष्य को शान्त मुद्रा में दूसरों को ते हये अपने आपको देखते हैं तो हम उसे उद्विग्न मन प्रभावित करने का जो बल है वह दूसरी किसी बात में के व्यक्ति के अनुरूप ही हो जाते हैं। जब हम किसो भले नहीं है। शान्त भाव के व्यक्ति के विषय में चिन्तन मात्र शान्त स्वभाव के व्यक्ति का ध्यान करते हैं, उससे बात करने से मनुष्य में नई शक्ति उत्पन्न हो जाती है, उसका चीत करने की कल्पना अपने मन में लाते हैं तो हम खोया आत्म-विश्वास चला आता है। उसके हृदय का उसी प्रकार के अपने आप ही हो जाते हैं।
अन्धकार दूर हो जाता है और उसे नया प्रकाश मिल भगवान बुद्ध के ध्यान मात्र से मन शान्त अवस्था जाता है। को प्राप्त हो जाता है। लेखक के एक अंग्रेज मित्र श्री इङ्गलैण्ड के प्रसिद्ध कवि कीट्स महाशय एक सुन्दर रोनाल्ड निकसन ने भगवान् बुद्ध की प्रतिमा के ऊपर मूर्ति को देखकर इतने मुग्ध हो गये कि उन्होंने सौन्दर्य ध्यान जमाने के लाभ के विषय में लेखक को एक बार को मूर्तिमान सत्य कह दिया। सुन्दर पदार्थों को देखकर अद्भुत बातें कहीं। इस प्रकार के ध्यान से वे गृहस्थ हृदय का सौन्दर्य आता है। परन्तु सुन्दर भावों वाले जीवन छोड़कर साधु बन गये। श्री निकसन महाशय ने व्यक्ति की कल्पना मनुष्य के व्यक्तित्व को ही उसके पहले जर्मन युद्ध में भाग लिया था। वे वायुयान के विना जाने ही बदल देती है। सुन्दर भावों का व्यक्ति चाहे संचालकों के आफिसर थे। उनके बासठ साथियों में कुछ बोले अथवा न बोले उसकी उपस्थिति मात्र का से लड़ाई समाप्त होने पर केवल पाँच बच गये थे। उनके प्रभाव सभी लोगों के मन पर पड़ता है। मनुष्य जो कुछ मन में इस युद्ध के समाप्त होने पर भारी अशान्ति हयी। करता अथवा कहता है उससे कहीं अधिक प्रभावकारी वे किसी तथ्य को खोजना चाहते थे। एक बार जब वे उसका व्यक्तित्व है । अर्थात् भाषण की अपेक्षा मौन भाषण अपने गम्भीर चिन्तन में लगे थे और संस.र से निराश मनुष्य के हृदय को अधिक प्रभावित करता है। महान् हो चुके थे तब उनका ध्यान केंब्रिज विश्वविद्यालय के पुरुष संसार की सेवा उनकी उपस्थिति मात्र से करते हैं। एक बड़े कमरे में रक्खी बुद्ध भगवान की मूर्ति पर गया। दृढ़व्रती मनुष्य की कल्पना मात्र से हम दृढ़व्रती बन जाते वे बहुत देर तक भगवान् बुद्ध की ध्यान मुद्रा में अपने हैं, त्यागी की कल्पना से त्यागी और उदार की कल्पना से आप ही डूब गये। भगवान् बुद्ध के शान्त भाव ने उन्हें उदार बन जाते हैं । जो व्यक्ति जैसा अपने आप को बनाना इतनी शान्ति दी कि उन्हें निश्चय हो गया कि यदि उस चाहता है, वह यदि अपने आदर्श के अनुरूप किसी महान् शान्त भाव को वे सभी समय के लिये प्राप्त कर लें पुरुष का प्रति दिन ध्यान करे तो वह धीरे धीरे अपने तो अवश्य ही उनकी मानसिक व्यथा का सब काल के आपको तदानुरूप परिणित होते हुए पायेगा। लिये अन्त हो जाय। उसी शान्ति की खोज के लिये अनुष्य महान् पुरुष के ध्यान से अपनी आत्म निर्देश श्री निकसन ने बौद्ध ग्रन्थों का अध्ययन किया। वे भारत- की शक्ति को बढ़ा लेता है। मान लीजिये आपके पेट में