SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन विवेक प्रकाश भेजें उनके साथहि अपना गाम नाम ठगम ठिकाणा ढाणा और अपने अपने परिग्रहादिभी लिखभेजें. (२) अब दुसरा विचार हमें पुछनेकी जरुर यह हे की आचार्य महाराजो और सर्व महाशयो! अपनी दूसरी यति कोन्फरन्स अपने खर्चसे करनेका आमंत्रण अपने प्रियमहाशय राज्यमान्य श्री पं. प्र. लाधाजी जयवंतजीने कियाहे. सो महा शय यहकार्य करनेमे परिपुर्ण हर्ष सहित करनेकों तयारहे. अबके कार्तिकसे फागुण मास तकमे जब जुनागढकी हवा पाणी अनुकुल होगा तब अवश्यीह करेंगे. इसमें संशय नहीं. आजकाल करते छमास तो व्यती होगए मात्र दोसें छमास तकमे जरुर करेगें. कुमकुम पत्रिका उन समय भेजी जाय. गी. राजमान्य श्री लाधाजी पुंछतेहें कितने ठाणे आवेगें उतनी तयारी रखनेकी हमकों समजपडे. जिसकेलिए सब श्वेतांबरमहा शयोने अपनी तर्फसे आनेकी सभ्मतीय विवेक प्रकाशकके. उप र लिख भेजनेकी कृपाकरनी. यति कोन्फरन्स.) मुंब. जयति ज्ञानचंड. पाय धोनी शांति :: नाथजी मंदिर
SR No.544071
Book TitleJain Vivek Prakash Pustak 11 Ank 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchandra Yati
PublisherGyanchandra Yati
Publication Year
Total Pages32
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vivek Prakash, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy