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_सम्पादकीय *
आर्थिक, गजनैतिक शैक्षिक परिस्थितियाँ कार्यकर हैं । जो भी हो, यह तो निर्विवाद ही है कि हमें अपने राष्ट्रीय चरित्र के स्तर को उठाना है। यद्यपि इस दिशा में कई संस्थात्रों ने प्रयास किए हैं परन्तु कोई भी सन्तोषजनक परिणाम नहीं निकला है। यद्यपि राष्ट्र य चरित्र की जिम्मेदारी बहुत कुछ सरकार पर ही है परन्तु यदि सरकार में ही चरित्रनिष्ठ प्रादमी नहीं है तो सरकार क्या कर सकती है ? इस भाँति तो यह कार्य चत्रिनिष्ठ व्यक्तियों द्वारा ही सम्पादित हो सकता है। सरकार को अार्थिक, राजनैतिक परिस्थितियों पर ध्यान देना आवश्यक है और चरित्रनिष्ठों को नैतिकता पर । सच्चरित्र व्यक्ति अनेक सच्चरित्रों का निर्माण कर सकते हैं । उन्हें अपना उत्तर दायित्व समझना चाहिए । सरकार को भी इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
पृष्ठ ३४का शेषांश गुजराती में हुअा था अब इसका यह परिवद्धित एवं संस्कृत हिन्दी संस्करण है । पुस्तक के मूलकर्ता उमास्वॉति स्वामी के बहुमुखी जीवन का परिचय देने में लेखक ने प्रामाणिक सामग्री जुटाई है । विषय के प्रतिपादन में भी असाधारण सफलता पाई है।
पुस्तक के अन्त में 'तत्वार्थ-सूत्र' का पारिभाषिक शब्द कोश दिया गया है। इसका अपना निजी महत्व है।
तात्विक निरूपण के कारण शैली गम्भीर है। विशेष बात तो यह है कि स्पष्टीकरण में कहीं भी लनग्ता नहीं पाई है।
दर्शन के विद्यार्थियों के लिये यह पुस्तक विशेष उपयोगी है। पाठक इससे उचित लाभ लें । ग्रन्थ संग्रहणीय हैं।
वी० प्र. साभार विशेषांकों की प्राप्ति स्वीकृति १. 'जैन गजट' का आचार्य शान्ति सागर हीरक जयन्ती विशेषांक २. 'अनेकान्त' का सर्वोदयतीर्थाङ्क ३. 'जैन महिलादर्श' का नारीधर्माङ्क
(पृष्ठ ३० का शेषांश) हमें राजनीतिक स्वतंत्रता होने से से शान्ति की स्थापना में भारी असर हम उन देशों से अधिक भाग्यशाली पड़ा है और पड़ेगा। हमारी तो यही हैं जो अभी भी पराधीन हैं। हम प्रार्थना है कि हम सर्वदा स्वतंत्र बने इसी लिए स्वतंत्रता दिवस का मान रहें, यह स्वतंत्रता दिवस सर्वदा करते हैं कि हम आगे बढ़ने के योग्य आता रहे और एक दिन हम खुले हो गए हैं। भारत की स्वतंत्रता दिल से हार्दिक प्रसन्नता पूर्वक इसका एशिया के लिए एक बहुत बड़ी देन अभिनन्दन कर सकें और खुशियाँ है। संसार में भी हमारी स्वतंत्रता मनाने में समर्थ हों। ॐ शान्तिः ॐ