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Regel. No.
A.576.
'अहिंसा वाणी' के विषय में
१-'अहिंसा-वाणी' का उद्देश्य सत्य-अहिंसा द्वारा विश्व में सुख, समृद्धि, शान्ति
को सृष्टि के लिए तदनुकूल स्वस्थ ज्ञान सामग्री देना है। २-हिसा-वाणी' प्रत्येक माह के द्वितीय सप्ताह में प्रकाशित होती है । पत्रिका
नहीं पहुँचने की शिकायत ३०वीं तारीख तक पहुँचना श्रावश्यक है। ३-पत्र व्यवहार में अपनी ग्राहक संख्या अवश्य लिखें ! ४-किसी भी माह से ग्राहक बन सकते हैं । अप्रैल से बनना सुविधाजनक होगा। ५-पालोचनार्थ पुस्तकों की दो प्रतियाँ सम्पादक जी को भेजनो चाहिर । अालोचना
करना सम्पादक के सर्वाधिकार में है। ६-पत्र में शिष्ट श्रादर्श एवं स्वस्थ विज्ञापन ही लिए जावेंगे । विज्ञापन-दर
पत्र द्वारा पूछ सकते हैं। ७-अहिसा-संस्कृति एवं जैन-दर्शन को व्यवहारोपयोगी बनाने के लिए तत्सम्बन्धी
शंकायों का समाधान भी यथासम्भव पत्रिका में किया जावेगा । पाठक शंकाएँ सम्पादक को भेजें। -प्रकाशनार्थ रचनाएँ पत्र के उद्देश्य से सम्बन्धित होनी चाहिए तथा सम्पादकजी के पास भेजनी चाहिए। निबन्ध, कहानी, एकांकी, कविता, गद्य-गीत, के गद्यकाव्य आदि सभी प्रकार की रचनाओं का स्वागत किया जायेगा। रचनाएँ साफ सुथरी तथा पृष्ठ के एक ही ओर लिखी जानी चाहिए। अस्वीकृत रचना की वापिसी के लिए डाक खर्च संलग्न होना श्रावश्यक है। -समस्त पत्रव्यवहार का पता-'अहिंसा-वाणी' कार्यालय, अलीगञ्ज (एटा) उ० प्र०।
“दी वायस प्राव अहिंसा" THE VOICE OF AHINSA
विश्व-शान्ति एवं मानवता का सर्वोच्च स्वर देश-विदेश के ख्याति-लब्ध लेखकों की अमूल्य कृतियों से अलकृत अहिंसा सस्कृति एवं जैन-दर्शन की एक मात्र सचित्र द्विमासिक पत्रिका
यदि आप अभी तक इस पत्रिका के ग्राहक न बने हों तो अहिंसा-प्रसारार्थ अविलम्ब ही छः रुपए ६) का मनीआर्डर भेजकर ग्राहक बन जाइए।
व्यवस्थापक दी 'वायस आव अहिंसा'-कार्यालय
अलीगञ्ज, (एटा) उ० प्र० प्रकाशकः--पं० रेवतीलाल अग्निहोत्री, अ० वि० जैन मिशन अलीगञ्ज (एटा)
मुद्रक:-राजेन्द्रदत्त बाजपेयी, हिन्दी साहित्य प्रेस, प्रयाग।