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________________ रूपक सच्चा स्वातन्त्र्य ( ले० - वीरेन्द्र प्रसाद जैन ) पात्र परिचय वासना - एक सुन्दरी युवती कुब्जा - वासना की सहेली स्वतंत्र - राजकुमार करती है । ] सम्राट - कुमार स्वतंत्र के पिता सुमतिवाई - स्वतंत्र की बहिन मन्त्री एवं प्रजाजन आदि ( प्रथम दृश्य) स्थान - सजा हुआ कक्ष | [कक्ष में केवल वासना और कुब्जा हैं । वासना गाती है, कुब्जा वाद्य वादन ( गीत ) कौन नहीं तैयार करने को अभिसार ? मुझमें कितनी मादकता है, मुझमें कितनी सुन्दरता है; कौन न देगा प्यार ? कौन नहीं तैयार करने को अभिसार ? मेरा यौवन मदमाता है, रूप- सुधा रस छलकाता कौन कौन न नहीं तैयार करने को मेरे रूप- कुसुम पर रीझे, मनु-मधुप फिरते है खी; हो निउछार ? अभिसार ? कौन न माने हार ? कौन नहीं तैयार करने को अभिसार ? [गीत की समाप्ति के साथ वाद्य वादन भी समाप्त होता है ।] कुब्जा (सुस्काती हुई सी) वासने ! सच कहती है । तेरी सुन्दरता के आगे गुलाब की मोहकता, कमल की कमनीयता और तितलियों की लाव यता सब कुछ तुच्छ हैं । तेरा इठलाता हुआ यौवन किसे न मोह लेगा ? तेरी उन्माद पवन के मादक भोके खाने को कौन न विहल होना ?
SR No.543517
Book TitleAhimsa Vani 1952 08 Varsh 02 Ank 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherJain Mission Aliganj
Publication Year1952
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Ahimsa Vani, & India
File Size11 MB
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