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अहिंसा-वाणी * ५. प्रचार साधन
श्रावस्ती, श्रवणबेल्गोल, आयिका, - मिशन ने प्रचार के आधुनिक
जैनीज्म ऐंड वर्ल्ड प्राँवलेम्स जैसे
बड़े पुस्तकाकार ट्रेक्ट भी हैं। प्रायः साधनों का उपयोग किया है। प्रेस,
सभी ट्रेक्ट समाप्त हो चुके हैं। अतः प्लेटफार्म, और रेडियो के द्वारा प्रचार का उद्योग किया गया है।
उनको फिर से छपाने की आवश्यकता
है। हम लेखकों और दातारों के मिशन प्रचार की विशेषता यह रही
आभारी है। है कि वह अवैतनिक सेवाभावी कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया हैं। इस आगे बड़े-बड़े ग्रंथ प्रकाशित शैली से हमें कई एक उत्साही नये करने की योजना है। 'समाधि तंत्र' कार्यकर्ता मिले हैं और जैन छात्रों में प्रेस में देने के लिये तैयार है, जिसका उत्साह जगा है । जब हम स्वयं अंग्रेजी अनुवाद स्व० श्री रावजी अहिंसा आदि सिद्धांतों का पालन नेमचंद जी शाह ने किया था। उसके करेंगे तो उनका प्रभाव अन्य लोगों अतिरिक्त श्री जयभगवान जी ने पर अनायास पड़ेगा । मिशन के 'इष्टोपदेश' का अंग्रेजी में पद्यानुवाद कार्यकर्तागण केवल 'कथनी' तक बहत ही संदर किया है। श्री बी. डी. ही नहीं रहे, बल्कि 'करनी' को भी जैनी लखनऊ ने 'भक्तामर स्तोत्र' का उन्होंने अपनाया है।
अँग्रेजी में पद्यानुवाद किया है । प्रो० ६. ट्रेक्ट और पुस्तक प्रकाशन अनन्त प्रसाद जी ने जैन सिद्धांत पर
एक मौलिक ग्रंथ अंग्रेजी में लिखा है। ___छोटे-छोटे ट्रेक्टों द्वारा प्रचार यह सब प्रकाशित किये जाने के लिये करेने में सफलता मिली है.। प्रथम दातारों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वर्ष में ४० हजार, दूसरे में ७२ हजार वरन सा० की पुस्तक "जैनीज्म" भी
और इस तीसरे वर्ष में लगभग २० छप जाती, परंतु श्री मल्लिनाथन जी हजार ट्रेक्ट छपाकर वितरण किये ने ५००) एडवांस मगांकर भी उसे गये । इनके अतिरिक्त लगभग अभी तक नहीं छपाया है। ३००००+ ३०००० = ६०००० लीफलेट भी वितरित किये गये । यह ट्रेक्ट ट्रेक्ट प्रकाशन में सर्व श्री रूपहिन्दी और अंग्रेजी भाषा के अति. चंद, जी गार्गीय, पनीपत, श्री मंदररिक्त गुजरातको बंगला, चीनी और दासजी कलकत्ता, प्रकाशचंदजी टोग्या जर्मन भाषाओं में भी छपाए गये हैं। इन्दौर , रत्नेशकुमार जीरांची, नेमिअब तक कुल ५० प्रकार के लगभग चन्द्र जी जैन बैद्य जबलपुर और दो लाख ट्रेक्ट छपे हैं, जिनमें सामा- रननजी एटा ने सक्रिय भाग लियायिकपाठ, मेरी भावना के अतिरिक्त अतः मिशन उनका आभारी है।