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३.] दिगम्बर जैन ।
[८१७ हैं तब उन्हें पतिदेवके क्टूक्ति कष्ठानुपरित हूं। मेरी निर्मल कीर्ति दशों दिशाओं में फैल कोपसे बचाने के लिए स्वपाणोत्सृनन कर देना जाती है और मेरे नामका जयघोष विश्वम्भामें क्या कोई बड़ी बात है ? क्या पाण भिक्षुक गूंजने लगता है। मैं अमरत्वको प्राप्त कर संसारको मरने देना चाहिये ? नहीं, कदापि लेती हूं। यह सब क्यों ? ... नहीं।
स्वधर्म पालन कभी निष्फल नहीं जाता । परोपकार मेरे कुल का धर्म है। लकड़िये मेरी सकर्म कभी नष्ट नहीं होते। निस्वार्थसेवाका जननी हैं और अनिल मे प्रिय सखा लकड़िय अद्भुत महात्म्य है। मैं जलती हं. पर परोपधीर, वीर, महात्मा, दानी और सतत परोपकारी कारके लिए जलती हूं । तरुवरोंसे उत्पन्न होती हैं। भला मैं ऐसे उच्च और निस्वार्थ वंशमें जन्मले कर परहित विमुख . होकर स्वार्थकी ओर क्या ध्यान देने लगे। जानयोक लिये-आकाशबाणी। क्या कुलको कलंक लगाना पूर्वजोंके निर्मल धर्मः ।-दिगम्बर श्वेताम्बर और स्थानकवाप्ती को जलांजलि देना उचित्त है ?
मिलकर एक जैन विश्वविद्यालय (Jain Uni__ अच्छा आत्म विनाशसे मुझे क्या काम ? narsity) की स्थापना करो जिसमें विदेशोंसे देखो जक्तक मैं सुस्त रहती हूं तबतक भी आकर विद्यार्थी लोग जैन धर्मकी शिक्षा मृतप्रायः किसी कोने में पड़ी रहती हूं। न तो प्राप्त कर सकें। मुझमें कोई तेज ही रहता है और न कोई २-जैन सिद्धन्तों का अंग्रेजी, जरमनी, चीन, विक्रम ही। स्वधर्मकी उपेक्षा करनेसे मेरी
जापानी आदि भाषाओं में उल्था Translation सारी देह काली रहा करती है। मेरा नाम
कराकर लाखों की संख्या ट्रेक्ट छपवाकर विदे. होता है कोयज्ञा । भला यह भी कोई जीवनमें
शोंमें बितरण करो। विदेशी विद्वानों में जैन जीवन है।
धर्मका ज्ञान कराओ। ___ परन्तु जहां स्वधर्मको ग्रहण किया कि मेरी दशामें विचित्र परिवर्तन हो जाता है। मैं ३-जैन ऐतिहासिक खोनके लिये एक मृतशय्यासे जीवित हो उठती हूं। मेरी देह विभागकी स्थापना करो। स्वर्ण से अधिक सुन्दर हो जाती है और उससे ४-बंगाल और बिहारकी सराक जातिका तेन और प्रकाश का मानों फौवारा छुटने लगता उद्धार करो, इप्त पान्नमें जगह जगह अध्यापक है। दीन और भदोन, धनी और निर्धन, सब कायम करो और इन लोगों में अपने प्राचीनधर्म के मेरी शरण में आते हैं और सुख प्राप्त करते हैं। ज्ञान की प्राप्ति के लिये बंगालीमें ट्रेक्ट लिखाकर तकउन्हें सुखी देखकर मेरा उत्साह दुगना हो सीम करो । इस कार्यमें अपना पैसा लगाओ। माता है और मारे प्रसन्नताके मैं लाक हो उठती -देशकी भावाजमें पूरा पूरा साथ दो।