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॥श्रीवीतरागाय नमः॥
16010 सम्पादक-मूलचंद किसनदास कापड़िया चंदावाड़ी-सरत।।
विषयानुक्रमणिका। विषय
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सम्पादकीय वक्तव्य .... .... .... .... २ जैन समाचारावलि .... ३ गुजरातमां ब्रह्मचर्याश्रम खोलवानो विचार ..... ४ जैन साहित्यका महत्व व उसका प्रचार (ब शीतलप्रसादनी) ९ ६ दिनचर्या ( पं० अभयचन्द्र काव्य तीर्थ इन्दौर) .... १२
६ हमारा काम ( पं० प्रेमचंद पंचरत्न- भिंड ) ........ १७
। ७ श्री विजयधर्मसूरि मूरत जैन साहित्य परिषद् का एक नित्र १८ वीर सं. २४५०
वर्ष १७ व । वैशाख
८ अहिंसा धर्म (पं० शंकरलाल व्यास कसरावद).... | अङ्क ७ वाँ सं. १९८- ९नीतिरत्नमाला-४ (६० बालकृष्ण जन, पालम) ....२८ | सन् १९२ सा-१० अग्नि (बाबू ताराचंद जैन झालरापाटन सीटी......... ७ ११ जैनियों के लिये आकाशवाणी (मोतीलाल जैन कुनाड़ी)....
१२ श्रुतपंचमी पर्व स्पं प्रेमचंद पंचरत्न..... All १३ दो शब्द (श्री नानकीबाई जैन-अमरा)
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