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जैन साहित्य संशोधक
(२३) सोभागी करणीन परी त्यागी मुगतिना रागी श्रीपतिसाह प्रबोधक अवोह जी - (२४) व प्रतिबोह कलिकाल गोतीमा अवतार तपगछ सागार हार तपतेज दीवा - ( २५ ) कर गछाधीपति गछाधीराज सरबउपमाजोगः भटारिक पुरिंदर श्री श्री श्री श्री श्री - (२६) श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री विजयसेन सुरसूरिश्वर (२७) परिवार चरण कमलानं श्री आगराकोटानु सदा आदेसकारी चरणसेवक दासन( २८ ) दास पाइरज समान सदासेवकः साः विमलदास सा मंदीदास सा लालचंद दुरगदा(२९) सः सं चंदुमती साः ननजीः साः चंद्रसेनः सः प्रतापसी: सांः नाथु मीधारीदास सा पुन्मना (३०) खाः समीदास दरगहमलः साः पेमन सा: टोबर: सं: वीरदास साः कश् नतु सं धरमदास गटका संः नेतसीः साः खड़ाः साः भोजु साः सा
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(३१) गर सं कवरजी वरचमानः साः बैरा राई सीप सा कवरा धरमसी साः मोकल साः मेघा (३२) साः कटारू पिरथीमल साः बोहीच सा गोरा सा बचा कुहाड सं देवकरण साः पदमसीः साः मा( ३३ ) नकिचंद सा तीलोकसी जैतसीः सं धरमदासः साः ताराचंद साः पापीयाका सा रासाः साः प्रेत( ३४ ) सी साः नेतसी सा मुलाः साः डूंगरः सं: रीषभदास सा चाउ सा षेभन साः लीषमीदास सः भीरपाल साः मीमा साः मोजुराजु
(३५) सा: भारूतारणः साः पतापसारिः सा तारूपसारी साः देवजी सोनी: रोषमदास सोनी विमलदासः ( ३६ ) साः अमीचंद सा देवकरण सा देवजी मीमजी साः जीवा से उदा कमाः संः सीधु से सवल ( ३७ ) सं: समीदास सं: लीलापती संः कलु संः वीरजीः संः कपुरा सादुल साः कल्याण सुगंधीः
दरगह सुगंधी :
(३८) सा कचरा मुहणैत साः पदा मुहणैत साः जेसीय मुहणैत सा जादू सा ( ३९ ) साः सोमसीः साः पोमश्री सा दरधमान खा राउ सा धनराज सं: वाल सोनी
( ४० ) सकतन सा:, रतना साः संसारू साः वाघु सा: जावड साः डगर वैद साः गग्ग साः भू इगर साः सु( ४१ ) रताणाः साः जेकरण आदेसकारी दवस वंदणा: सीकाह सा कावः राघवनी अवधार जो: समस(४२) त संपनी द्वादस वंदणा अवचारजो ईह श्री पुजीजी ने प्रसाद कुसल बेम छै पुजीजीना( ४१ ) कुचल बेमना सदा समाचार लीघवाजी त सेवकनै परम संतोष उपजै: अपर इंह श्री(४४) पजुसण प्रव नीराबाद पणै हुआ छै अमारी दीन १२ पजुसणनी विसेष सावदेसः पुरबदेसः (४५) तथा डीलमंडळ: मेवातमंडल रणर्धमैरगढ देसी: बीजा ही पण देसी अमारी वरती छै ते संतोष
मानजो
ईसर साः माउ सा गोवल नीहालु साः रूढाः साः मो
(४६) श्री सतरभेद पुजा १५ श्री जहगीर पातीसाह तषत बेठ पुठै ये अपुरब करणी हुई छे भ
( ४७ ) गवनजीनै प्रसाद श्रीतपागच्छनी उनित वीसेष हुई छै श्रीः पातिसाहजी फुरमान २ करी द— ( ४८ ) नाः ते श्री पण आव श्रीजीनुः रमदासजी आगे हुई गुदरण हुकम दीआ ढंढोरा दीवाय(४९) पारीउर वार सारै दीना १२ अमारी बरताई: जीण बेल श्रीजी हुकम दीना तीणवेला दरीधन(५०) जुडथा श्रीजी झरोषै बैठा था राजा रमदासजी आगै था तीण पाछै फुरमान लीयः पंः विवेक [ हर्ष ( ५१ ) तिण पाछैः पंः उदैई ( हर्ष ) थाः पछं अमारी आसरी विनती की श्रीपातिसाहजी हुकम दीना ( ५२ ) ततकाली: तीणवेला: जीसा दरीषना जुडसु तीण समना ये लेष माह सरब लीष छै