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________________ महावीर निर्वाणनो समय-विचार ध्यायना वे शिष्यो बादशाही नोकरोने साथे लई आगरा उल्लेख करवामां आव्यो छ के-'उस्ताद सालीवाहन मेरमा जाते ते बाबतनो ढंढेरो पीटता फरे छे, इत्या- बादशाही चित्रकार छे. तेणे ते समये जोयो तेवो ज दि दृश्यो बहु सुन्दररीत चित्रेलां छे. चित्रना एक भागमा आमां भाव राक्यो छे. ' आथी आ सचित्र-पत्रनी ऐतिविजयसेनसूरिनी व्याख्यानसभा पण चित्रली छे अने हासिक महत्ता केटली विशेष छे ते दरेक विद्वान् समजी तेमा विवेकहर्ष गणी जाते ए फरमान पत्र लई आचार्यनी शके तेम छे. सेवामा समर्पित करी रमानो देखाव पण काढेलो छे. पत्रनी भाषा हिन्दी मिश्रित गुजराती छे अने ते * आ चित्रमा आलेखली आकृतियो बह स्पष्ट अने काना-मात्रना हिसाब वगर जेम व्यापारी लोको लखे छे तादृश छे. दरेक प्रधान आकृति उपर तेनुं नाम पण तवा रात लखाएला छ. आ नाच प्रथम पाना मूळ काळी शाहीथी लखेलुं छे. चित्रनी महत्ता एटला उपरथी ज नकल- असलनी भाषामा ज-आपी छे अने तेनी नीचे समजी शकाश के ते खद बादशाही चित्रकारनी पीळीथी लाईनवार हालनी भाषा प्रमाणे शुद-संस्कारी रूपान्तर आलेखायुं छे. ए बाबत ए पत्रमा नीचे प्रमाणे खास आप्युं छे. __ (मूळ नकल) (१) स्वास्ताश्रीचंतामणापारस्वजणाप्रणामो श्रीदेवकापाटणामाहानगरसूभथांने पूजआरंद्धा माहाओतमो(२) अतंमचारीतरपात्रसुरामणा कमतं अंधकारनभोमंणा कलकालगउतमोअवतार सरस्वती कंठ आमरंणा(३) चउदवदानद्धांन ऐकवद्ध असंमना टालणाहार वद्ध दरंम परूपक त्रगा ततवना जाणा चार कखाअना. (४) जीपक पंचमाहावरतना पालणाहार छकाअना पीहर सातभअना टालणाहार आठ मद्ध सानकना जीपक. (५) नववाग्वसबरंमचरजानापालणाहार दसवद्धसरमणारंमपत्रपालक अगर अंगबार ऊपांगना जाणा. (1) तेर काठी आना जीपक चऊदभेद जीवना परोपक पनर परमाधार्मना भेदना जाण सोलकलासं(७) पुरण चंद्रवदन सतरभेद संज्यमना प्रतिपालक अढार सहस सिलंग रथना (८) धारकः उगणिस न्यतधरमना परूपक विस असमाधीथाने रहातः ऐकविस सबल(९) ना वारकः बावीस परीस्हाना जीपकः तेवीस सुगडा अंग अधेनना जाण चैवि(१०) स तिथंकरनी आगन्यना प्रतिपालकः पंचविस भावनाना भायकः छविस(११) दसाकलपविवहारना जाण सताविस साधगुणना उपदेसक अठाविस आया- . (१२) रकलपना जाण उगणतिस पपसुत्त प्रसंगना टालणहारः तिस मोहनी स्थानीक(१३) ना जीपक ईकतिस सिधगुणना जाणः बत्तिस जोग संग्रहना प्रतिपालक ते(१४) तिस गुरनी आस्यतनाना वारणहारः चत्तिस अतीबैना जाणः पत्तिस श्रीवित-- (१५) रागवणीना गुणना कथकः छत्तिस छत्तिसी सुरगुणे वोरजमानः वादीगुर(१६) ड गोवीद वादीगोधुमघरट मरिदतवादी मरट सरसतिलबधप्रसादः दली(१७)त अनेक दुरवादवाद समुद्रनी परि गंभीरः मेरपरबतनि परी धिरः प्रापत सं(१८)सार समुद्र तिरः मायमही विडारणसीरः श्रीजिनसासन सहकारकीर (१९) करमसत्त विडारणवीरः वाणि मीठि ईम्रतखीर: धरमकरतै न कर धीरः नीर(२०) मलचित जीम गंगानीरः उजल जससागर डंडीरः भंजण भवभिरः सोभा(२१ ) गगुणे अमिनवै गुरहीर जीण प्रतीबोध्य अकबर साह वडवीर दी(२२) न करणीपर अधीक प्रताप तेज सुविहत जणसु धरे हेज व वैरागी अती
SR No.542001
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Samiti 1921
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Karyalay
Publication Year1921
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Sahitya Sanshodhak Samiti, & India
File Size17 MB
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