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स्वीकृत नियम
सिरोही की पौरवाल ज्ञाति के स्वीकृत नियम
इस वक्त नियात के जो प्रबन्ध हैं उसमें कई प्रबन्ध ऐसे हैं कि जिनमें जमाने की हालत को देखते फेरफार किया जाना मुनासिब है। इसलिये सर्व सज्जनों की सम्मति से नीचे मुजब ठहराव पास किये जाते हैं सो इन ठहरावों के माफिक हर एक भाई बहिन को अमल करना लाजमी होगा ।
जन्म से सम्बन्ध रखने वाले १-सात माही के राखड़ी के बांधने का जो रिवाज है वह कायम रहेगा मगर
वरले देना बन्द किया जाता है सो आइन्दा वरले नहीं दिये जायगे। २-होलियां की ढूंढ गांवसर डाली जाती है वह बन्द की जाती है बाहर
गांव की ढूंढ आवे तो ली जाय । ३-सुवावड़ होने बाद मक्को के टोटे दिये जाते हैं वे कतई बन्द किये जाते हैं।
सगपण से सम्बन्ध रखने वाले १-सगपण के वक्त गौल ऽ१, गौला १, दही ऽ१ दस्तूर माफिक भेजा जाय
लेकिन सीरा बन्द किया जाता है । २-लाडवेरा भेजने का दस्तूर कायम रक्खा जाता है मगर घाघरे पर किनारी
नहीं लगाई जाय । ३–शादी होने तक कन्या को जेवर नीचे माफिक तोल का चढ़ाया जाय । सोने का जेवर तोला २५ तक, चांदी का जेवर तोला २०० तक ।
विवाह से सम्बन्ध रखने वाले १-गोत्री व औरतें जिमाना बिलकुल बन्द किया जाता है । २-लग्न का काम शुरू होवे तब तक कन्या को जेवर वर की तरफ से . . . .रु. ७००) सात सौ तक और चढ़ाया जाय ।