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________________ पोरवालों की दानवीरता । २७ धर्म स्थापना भी की थी और अगणित द्रव्य और खजाने का भी मंग्रह किया था। उसी अवसर पर एक समय गोधरा के राजा धुंधुल से तेजपाल की लड़ाई हुई थी और उस लड़ाई में उक्त राजा को पराजय करके देव सहाय से विजय प्राप्त की थी। उस समय अगणित सुवर्ण मुद्राएं एवं अनेक रत्न जवाहरात और हस्ती अश्व आदि प्राप्त हुए थे। इस प्रकार बड़े समारोह के साथ दिग्विजय करके जब अपने स्थान में पहुंचे तब वहां श्री नपचंद्रसरिजी से उन्होंने धर्मोपदेश श्रवण किया और जीव दया पालन में अपना मन विशेष लगाया, अपने उपार्जित असंख्य द्रव्य का सद् व्यय करने के निमित्त अनेक धर्मशालाएँ, कूप,वापिकातडाग, देवालय, औषधालय, अन्नक्षेत्र आदि बनवाये और कई एकों का जीर्णोद्धार कराया । वस्तुपाल के ललिता देवी और सौख्यलता और एक तीसरे मोढ़ जाति के ठाकर वैश्य की कन्या सहुडादेवी भी थी। इससे मालूम होता है कि उस समय पोरवालों के विवाह संबन्ध अन्तर मोद वैश्यों के साथ भी होते थे। तेजपाल की स्त्री का नाम अनुपमादेवी था। वह धर्म में बड़ी अनुरक्त एवं सुशील सती थी। उसने अनेक व्रतोपत्रास, अठाई महोत्सव, स्वामी वत्सल आदि किए थे और धर्म में प्रवृत्त रहती थी। भनेक तीर्थाटन एवं संघ निकाल कर अपनी अमर कीर्ति सारे संसार में फैलाई थी । उसके संघ का वर्णन किया जाय तो एक बड़ा भारी ग्रन्ध बन जाय तथापि उनका यथार्थ वर्णन यहाँ पर नहीं हो सकता। वस्तुपाल तेजपाल विक्रम संवत् -१२८७ में आबू पर दंडनायक ( न्यायाधीश ) थे और इन्होंने भी पूर्वोक्त विमलशाह के आदिनाथ मन्दिर के संनिहित में ही पवित्र भूमि पर नेमिनाथ भगवान् का मान्दिर बनवाया। जो तेजपाल के पुत्र लूणसिंह के कल्याणार्थ था। इसी प्रकार इन्होंने भारतवर्ष. के अनेक स्थलों में जैन मन्दिर बनवाए और जीर्णोद्धार कराए । विशेषतः इन्होंने कई शिव मन्दिरों का भी उद्धार कराया था। यह बात प्राव के अचलेश्वर मन्दिर में रक्खी हुई प्रशस्ति से विदित होता है । इस प्रकार इनोंने अपने अगणित द्रव्य का सद् व्यय करके अपने देह का उद्धार किया और संसार में नाम अमर किया है । ये पौरवाल वंश के ही भूषण थे। इस तरह इस भूमि पर ऐसे.. अनेक धर्मात्मा दान एवं दयावीर श्रद्धालु हो गये हैं।
SR No.541501
Book TitleMahavir 1933 04 to 07 Varsh 01 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC P Singhi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1933
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size18 MB
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