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________________ महापौर ५४ ]. 1 नम्तर उनको बहुत सी निधिएँ प्राप्त हुई थीं और ये राजा भीम के मन्त्री नियत किये गये थे और वे " विद्यया वपुषा वाचा वस्त्रेण विभवेनवा । वकारे पञ्चभिर्युक्तो नरः प्राप्नोति गौरवम् " इन बातों से सर्वथा उस पद के योग्य थे । कुछ काल के अनन्तर वे सेनानायक भी बनाए गये थे और राजा भीम को सिंघ-मालवा एवं चन्द्रावती के परमार राजा धन्धुक के साथ लड़ाइयों में भी साथ दिया था और क्षत्रिय वीरों की तरह शूरता से लड़कर उनको राजा भीम के सामन्त बनाए थे | बाद इन्होंने वर्धमान सूरिजी से चिरकाल पर्यन्त धर्मोपदेश श्रवण किया था । तदनन्तर उन्होंने उनकी प्रेरणा से और जगदम्बा देवी की परम कृपा से, अपने द्रव्य का सद्व्यय करने के अर्थ एवं युवावस्था व राज्याधिकार में अज्ञानता से किये हुए पापों से उद्धारार्थ एवं सद्गति के हेतु जिन चैत्य ( देवालय ) बनवाए । विमल चरित्र में लिखा है कि श्रीमान् गौर्जर भीमदेव नृपते धन्यः प्रधानार्गणीः । प्राग्वाटान्वय मंडनं सविमलो मंत्री वरो प्यस्पृहः ॥ योऽष्टाशीत्यधिके सहस्रगणिते संवत्सरे वैक्रमे । प्रासादं समचीकरच्छशिरुचि श्री अम्बिकादेशतः ॥ इसी प्रकार दूसरे नंबर में महाराजा सिद्धराज जयसिंह के समय पोरवाल वंश के विभूषण अश्वराज ( आसराज ) मन्त्री थे । उनका विवाह देव प्रेरणा से महाभाग्य शालिनी सुलक्षणा कुमारदेवी से हुआ था । उस देवी के उदर से यवन साम्राज्य के प्रभाव से नष्टभ्रष्ट होते हुए जैन धर्म के उद्धारार्थ वस्तुपाल तेजपाल दोनों भाई जन्मे थे । ज्योतिष शास्त्रवेत्ता, भविष्य ज्ञानी, श्रीनरचन्द्र सूरीश्वर ने उनकी जन्मपत्रिका देखी थी और उनके अपूर्व सौभाग्य और पराक्रम के उदय होने का बतलाया था । तदनुसार वे घोलका के महाराणा वीरधवल के मंत्री नियुक्त हुए थे और रायाजी के साथ उन्होंने सौराष्ट्र, गुजरात आदि अनेक देशों का विजय किया था और साथ साथ अनेक जैन वैष्णव तीर्थों का अटन और उनका उद्धार करवाया था और वेद पाठियों के लिये वेद शालाएं बनवाई थी। अपनी मुस्लिम प्रजा की इबादत के लिये, उनकी प्रार्थना पर मस्जिदें बनवाई थी । गिरनार - शत्रुञ्जय श्रादि अनेक जैन पवित्र स्थलों में अनेक देवालय भी बनवाए थे और विजय यात्रा के साथ तीर्थयात्रा
SR No.541501
Book TitleMahavir 1933 04 to 07 Varsh 01 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC P Singhi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1933
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size18 MB
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