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महावीर अव्यवस्था को प्राप्त हुए निज पौरवाल ज्ञाति का उद्धार एव सुव्यवस्था करने के निमित्त अखिल भारतवर्ष का पौरवाल समाज यहां पर सम्मिलित हुआ है।
सज्जनो ! यद्यपि यह देश इस समय मरु भूमि (मारवाड़) राजस्थान, अन्य देशों की अपेक्षा विद्या बुद्धि एवं संपत्ति से रहित और अन्य देशों की दृष्टि में गिग हुआ और असभ्य कहा जाता है, किन्तु सिंहावलोकन दृष्टि से प्राचीन काल की ओर दृष्टि पात करने पर विदित होता है कि इसी भूमि में अनेक वीर पुरुष दानवीर धर्मात्मा विद्वान् एवं ईश्वर भक्त हुए हैं। यवनों के साम्राज्य काल में इसी देश के वीर पुरुषों ने अपनी मर्यादा को संरक्षित रक्खा था। पृथ्वीराज चौहान जैसे महाराणा प्रताप जैसे इसी भूमि के पास पास के वीर पुरुष थे । वशिष्ठ गौतम आदि ऋषि इसी देश में निवास करते थे इतिहास प्रसिद्ध माघकवि एवं ब्रह्म गुप्त ज्योतिषी इसी भूमि में भीनमाल (श्रीमाल) नगर के निवासी थे । भक्त शिरोमणि मीरां बाई इसी देश की राजकन्या थी। जैन धर्म प्रवर्तक हरिभद्रसूरीश्वर आदि अनेक जैनाचार्यों ने इसी भूमि को पावन किया था। पौरवाल वंश कुलावतंस विमलशाह वस्तुपाल तेजपाल भामाशाह मादि दानवीर इसी भूमि के आसन्न प्रदेशों में उत्पन्न हुए थे। इसी भूमि पर अनेक धर्मप्रवर्तक आचार्य जैन धर्म का अवलम्बन कराने वाले प्रोसवाल आदि के मूल पुरुष इसी भूमि पर हुए थे। इसी अर्बुदाचल पर वशिष्ठजी ने अपने अग्निकुंड से परमार, पडीपार, चौहान और चालुक्य ( सोलंकी ) वंश के क्षत्रियों को भी उत्पन्न किया था । अनेक प्रकार के जातियों की उत्पत्ति एवं धर्म परिवर्तन व उच्चावच इसी भूमि पर हुए हैं। इसी देश के क्षत्रीय वीरों ने यवन साम्राज्य काल में हिन्दुत्व एवं जाति कुलाभिमानों की रक्षा व मर्यादा का रक्षण किया है। काल के प्रभाव से "समय के फेरते सुमेरू होत माटी को" इस समय यह देश कतिपय लोगों की दृष्टि में अपठित, मूर्ख, असभ्य ( मारवाड़ी) आदिशब्दों से उपहास्य किया जाता है, किन्तु भारत के अधिकतर प्रान्तो में राज्य शासन करनेवाले राजाओं के भूल पुरुष एवं अधिकतर प्रान्तों में बसी हुई अनेक जातियों के मूल पुरुष इसी देश के रहने वाले थे । अतएव सारे भारत में इसी देशकी विभूति व्याप्त है यदि ऐसा कहा जाय तो इसमें कोई विशेष अतिशयोक्ति न होगी । गुजरात, काठियावाड़, कच्छ, अहमदाबाद, पाटन आदि नगरों में