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________________ पौरवालों की दानवीरता [२३ रहा हूं। इसी तरह आप श्री संघ अपनी बक्षी हुई उपाधि को सफल बनाने का सतत् उद्यम करेंगे, ऐसी श्री शासन देव से प्रार्थना करताहुआ अपने वक्तव्य को समाप्त करता हूं । साथ में इन महात्माओं की तरफ से भी उनकी प्रेरणा से आप श्री संघ के आगे प्रार्थना करता हूं कि इनको दी हुई उपाधि की बाबत भी यही जवाब समझ लीजिये ।। इसके पश्चात् शिवगंज के महावीर विद्या पीठ के विद्यार्थियों ने योगिराज श्री शांतिविजयजी महाराज की स्तुति रूप 'जगत मां सब सन्तो मां' बड़ा सुन्दर भजन गाया । अंग्रेजी जैन गजट के सम्पादक श्री० मल्लिनाथजी जैन ने कुछ भाषण किया । योगीराज के उपदेश से झोरा मगरा में हाई स्कूल व बोर्डिंग के लिये अच्छा फण्ड करीब डेड लाख का हो गया है और उतना ही अधिक होने की संभावना है । सम्मेलन की तीसरी बैठक दोपहर को १ बजे से प्रारम्भ होने को थी किन्तु मेघमाली ने यात्रियों के स्वागतार्थ पानी वर्षाना प्रारम्भ कर दिया। पंडाल सब भीग गया । वर्षा रुकने पर तीसरे दिन की कार्रवाई प्रारम्भ हुई और शेष ७ से १६ प्रस्ताव सर्व सम्मति से पास किये गये । पौरवाल समाज के रत्न मंडवारिया निवासी सेठ डाहाजी खूमाजी को उनके गुणों से मोहित होकर 'जाति भूषण' की गौरवमयी उपाधि दी गई जो इसी अङ्क में अन्यत्र दी गई है। * पौरवालों की दानवीरता और ज्ञाति का सिंहावलोकन (लेखक-श्री पंडित चतुर्भुजजी शर्मा त्रिवेदी. ज्योतिषाचार्य, सिरोही।) श्रीयुत् समापति महोदय एवं उपस्थित सज्जनो! माज इस भूमि का अझे भाग्य है कि देश देशान्तरों से एकत्रित होकर कलिकाल के प्रभाव से व अनेक प्रकार के दशोपद्रव-धर्मोपद्रव समाज विप्लव आदि कारणों से और कालान्त से __*नोट- यह लेख पौरवाल सम्मेलन में पढ़ने के लिये लिखा गया था परन्तु समयाभाव से न पढ़ सके मतएव यहां पर प्रकाशित किया जाता है। ... . सम्पादक, ....
SR No.541501
Book TitleMahavir 1933 04 to 07 Varsh 01 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC P Singhi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1933
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size18 MB
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