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अनेकान्त 72/3, जुलाई-सितम्बर, 2019 में 5 रंग विद्यमान होते हैं।
__10. आधुनिक विज्ञान की दृष्टि से जैव जगत् में अभी तक सूक्ष्म जीव, जीवाणु Bacteria एवं विषाणु virus होते हैं। इन सूक्ष्म जीवों की तुलना जैनागम में वर्णित निगोदिया जीवों से की जावे तो कुछ समानतायें मिलती हैं। Bacteria का शरीर अण्डाकार, गोल या लम्बा होता है। इसी प्रकार virus आयताकार शरीर को धारण करते हैं। आश्चर्य है कि प्राचीन काल में सूक्ष्मदर्शी यंत्र नहीं थे। फिर भी जैनाचार्यों ने इतने सूक्ष्म जीवों की विस्तृत विवेचना की थी।
___11. रेडियो/टेलीग्राम, टेलीप्रिंटर बेतार का तार, ग्रामोफोन और टेप रिकार्डर, मोबाइल आदि अनेक यंत्र विज्ञान के चमत्कार माने जाते हैं, पर इनके मूलभूत सिद्धान्तों पर दृष्टिपात करने पर ज्ञात होता है कि यह शब्द की अद्भुत शक्ति और तीव्रगति का ही परिणाम है और शब्द पुद्गल की ही पर्याय है।
12. Television का सिद्धांत- जैन दर्शन कहता है कि विश्व के प्रत्येक मूर्त पदार्थ से प्रतिक्षण प्रतिच्छाया निकलती रहती है और पदार्थ के चारों ओर बढ़कर विश्व में फैल जाती है। जहाँ उसे प्रभावित करने वाले पदार्थो दर्पण, जल आदि का संयोग होता है, वहाँ पर प्रभावित भी होती है। Television का आविष्कार इसी सिद्धान्त का उदाहरण है। अतः televison का अन्तर्भाव पुद्गल की छाया नामक पर्याय में किया जाना चाहिए।
____13. वैज्ञानिक न्यूटन ने 20 वर्ष पूर्व गुरुत्वाकर्षण की खोज की; परन्तु जैन दर्शन में भास्कराचार्य जी ने कई हजार वर्ष पहले भूमि की आकर्षण शक्ति के बारे में कहा था।
14. आधुनिक विज्ञान के एक नये आविष्कार एस्केलेटर के द्वारा मानव कुछ सेकण्ड में ही 20-25 सीढ़ियां चढ़ जाता है। जबकि जैन दर्शनानुसार एक सम्यक्दृष्टि, भव्य जीव अरहंत केवली भगवान् के समवसरण में पहुंचने के लिये 20 हजार सीढ़ियां पलभर में चढ़ जाता है।
15. वैज्ञानिक आर्कमिडीज ने प्लावन सूत्र, आयतन सूत्र प्रतिपादित किया था, जबकि जैन दर्शन में 3000 वर्ष पूर्व राजा श्रेणिक के पुत्र