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________________ अनेकान्त 72/3, जुलाई-सितम्बर, 2019 माध्यम द्रव्य का जहां तक अस्तित्व है, अर्थात् लोकाग्र शिखर में जाकर अनंत काल तक स्थिर हो जाता है। 89 जैन धर्म एवं पर्यावरण विज्ञान- जैन धर्म में स्वीकृत सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, संतोष, शाकाहार, गुणव्रत, शिक्षाव्रत, समिति, गुप्ति, लेश्या, संयम, समता, व्यवहार तथा आत्म आलोचना आदि जीवन मूल्यों के द्वारा ही पर्यावरण को शुद्ध रखा जा सकता है। जैन दर्शनानुसार षट्काय के जीवों की रक्षा तथा राग-द्वेष, मोह, व्यसन, लेश्या जैसी दुष्प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करने से ही पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है। जिसे आज आधुनिक विज्ञान भी स्वीकार कर रही है। जैन षट्द्द्रव्य सिद्धान्त एवं आधुनिक विज्ञान- आधुनिक विज्ञान जो हमें निष्कर्ष दिए हैं, उनसे धर्म के अनेक सिद्धान्त प्रमाणित होते जा रहे हैं। उदाहरण के लिये- वैज्ञानिक अध्ययन के क्षेत्र में द्रव्य की 'उत्पाद-व्यय-' - धौव्ययुक्तं सत् '। यह परिभाषा स्वीकार हो चुकी है। जिस लोक में हम निवास करते हैं, वह 6 द्रव्यों से व्याप्त है। वे 6 द्रव्य निम्न हैं- जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश, काल। इनमें जीव द्रव्य चेतन रूप है और शेष 5 द्रव्य अचेतन रूप हैं। यद्यपि 6 द्रव्यों की सत्ता पृथक-पृथक है और उनके सभी कार्य भी स्वतंत्र हैं। सभी द्रव्य परस्पर सापेक्ष और एक दूसरे से संबद्ध हैं। १. जीव द्रव्य- जैन दर्शन में प्रतिपादित जीव के लक्षण एवं आसाधारण भाव को आज के आधुनिक विज्ञान में कतिपय मान्यता मिली है। जैन दर्शन में स्थावर काय जीव (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति ) में जीवों की मान्यता पूर्णतः मौलिक और अद्वितीय है। आज से पूर्व में जैन धर्म में प्रतिपादित स्थावर काय के जीव और उनमें चेतना की मान्यता को विज्ञान स्वीकार नहीं करता था, परन्तु आज विज्ञान ने स्वयं सिद्ध कर दिया है कि स्थावर काय के जीव भी चेतन हैं। २. पुद्गल द्रव्य - जिस द्रव्य में संयोजन और वियोजन की क्षमता होती है, वह जैन दर्शन में पुद्गल कहलाता है। आधुनिक विज्ञान में रेडियोएक्टिव घटना में विकिरणों द्वारा उत्सर्जन या अवशोषण की क्रियायें होना पूरण और गलन के उदाहरण हैं। जो जैन दर्शन में पुद्गल कहलाते
SR No.538072
Book TitleAnekant 2019 Book 72 Ank 07 to 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2019
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size2 MB
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