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ANEKANTA - ISSN 0974-8768
जैन धर्म आधुनिक विज्ञान के संदर्भ में
-ब्र. समता जैन मारौरा
जैन धर्म वैज्ञानिक और वीतराग विज्ञानता का धर्म है। धर्म और विज्ञान परस्पर दो समान्तर विचार धाराओं एवं कार्य प्रणालियों के द्योतक माने जाते हैं। धर्म को परम्पराओं एवं क्रियाकाण्डों का कोष माना जाता है, जबकि विज्ञान प्रगतिशीलता और आधुनिकता का साक्षात् बिम्ब है। जैन धर्म में आस्था रखने वाले बंधुओं को तो विशेषतः गर्व होना चाहिए कि आज विज्ञान का वृक्ष हमारे सिद्धांतों की धरा पर पल्लवित और पुष्पित हो रहा है। जैन धर्म के सभी सिद्धान्त मूर्तिमंत एवं जीवंत हैं। सर्वज्ञ तीर्थंकरों ने विश्व कल्याण के लिये जो उपदेश दिये थे, वह आज आधुनिक विज्ञान से सिद्ध हो रहे हैं। अतः जैन दर्शन में जिन सिद्धांतों का विवेचन किया गया है, आधुनिक विज्ञान भी निरंतर उन सत्यों की ओर बढ़ रहा है, उन्हें जानने का प्रयास कर रहा है।
____ वर्तमान समय का युवा वर्ग वैज्ञानिक पद्धति को सीखने का इच्छुक है। यदि युवा वर्ग विज्ञान के अध्ययन के साथ जैन धर्म के सिद्धान्तों को समझने का प्रयास करेगा तो वह बहुत सारे तथ्यों को उजागर कर सकेगा। लौकिक शिक्षा के साथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा को भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लेने का समय आ गया है। तभी जैन सिद्धांतों की प्रासंगिकता को हम वैज्ञानिक परिपेक्ष्य में समझ सकेंगे। आज का यंत्र विज्ञान जब वीतराग विज्ञानता को मानेगा, तभी वह पूर्णता को प्राप्त हो पाएगा। यदि वर्तमान में आधुनिक विज्ञान उपयोगी है तो वीतराग विज्ञान भी प्रासंगिक है, क्योंकि आधुनिक विज्ञान और वीतराग विज्ञान परस्पर पूरक हैं।
___विज्ञान, विवेक और युक्ति को कभी छोड़ता नहीं है। इसलिये वह अपने पथ से कभी भी भटकता नहीं है। फलतः उसमें विसंगतियों और विकृतियों का प्रवेश नहीं होता, किन्तु यह बात भी निश्चित है कि वैज्ञानिक जानते हुए भी कभी भी गृहीत और अगृहीत मिथ्यात्व से दूर