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________________ अनेकान्त 72/3, जुलाई-सितम्बर, 2019 संपादकीय आर्यिका दीक्षा : _ 'अनेकान्त' जनवरी-मार्च 2019 वर्ष 72 अंक 1 के संपादकीय में सम्पादक मण्डल के सदस्य डॉ. श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत एवं मैंने संयुक्त रूप से लिखा था कि प्रथमानुयोग के साहित्य में आर्यिका के संस्कार किये जाने के यद्यपि अनेक उल्लेख मिलते हैं, तथापि चरणानुयोग विषयक साहित्य में कहीं भी आर्यिका द्वारा आर्यिका को दीक्षा देने अथवा संस्कार करने का समर्थन नहीं किया गया है। आज अनेक आर्यिकायें आर्यिका के संस्कार कर रहीं हैं, जबकि उनका संस्कार उनके आचार्य परमेष्ठी ने ही किया है। गणधर/आचार्य द्वारा ही आर्यिका के संस्कार किया जाना चरणानुयोगी आगम से सम्मत है। आज जो आर्यिकायें आर्यिका के संस्कार कर रही हैं, क्या यह चरणानुयोग सम्मत है? क्या श्रमणाचार विषयक किसी शास्त्र में ऐसा अनुशासन किया गया है? विद्वानों से अनुरोध है कि वे इस संदर्भ में शोध-खोज करें तथा चरणानुयोग के संदर्भ खोजें। आचार्य परमेष्ठियों से कोटिशः नमोऽस्तु पूर्वक विनम्र प्रार्थना है कि वे अपना स्पष्ट आदेश दें कि आगमानुसार आर्यिका आर्यिका के संस्कार कर सकती है या नहीं? एक ओर तो आचार्य परमेष्ठी आर्यिकाओं को स्वयं संस्कार करके दीक्षा प्रदान कर रहे हैं और दूसरी ओर उन्हें भी अपना आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं जो आर्यिकायें आर्यिकाओं को दीक्षा दे रही हैं। ये दोनों बातें एक साथ कैसे संभव हैं? यदि दोनों ठीक हैं तो आचार्यों को अपनी स्पष्ट सम्मति देना चाहिए और यदि आचार्य को ही आर्यिका दीक्षा देने का विधान है तो यह प्रयास होना चाहिए कि आर्यिका के द्वारा आर्यिका को दीक्षा देना राजमार्ग न बने। भले ही प्रथमानुयोग के साहित्य में अपवादवश ऐसे प्रसंग आये हों। ___ यहाँ यह कथ्य है कि आर्यिका प्रशान्तमति माताजी ने अनेक आर्यिकाओं को दीक्षा दी है, जबकि उनकी गुरुमां आर्यिका श्री विशुद्धमति माताजी ने उन्हें स्वयं दीक्षा न देकर आचार्य परमेष्ठी से ही दीक्षा दिलाई थी। आर्यिका विशुद्धमति माताजी का तो स्पष्ट मानना था कि आर्यिका
SR No.538072
Book TitleAnekant 2019 Book 72 Ank 07 to 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2019
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size2 MB
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