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ANEKANTA - ISSN 0974-8768 उपर्युक्त विवेचन से निष्कर्ष निकलता है कि वर्तमान युग उपकल्की युग है, क्योंकि इस युग में भी वे सभी लक्षण परिलक्षित हो रहे हैं जो एक उपकल्की या कल्की युग में होते हैं। जैसे- जैनों की संख्या में कमी आना, जैन मंदिरों व तीर्थों का असुरक्षित होना, सच्चे संतों की संख्या में कमी आना आदि; लेकिन इस सब का जिम्मेदार कोई जैनेतर नहीं बल्कि जैन स्वयं हैं, जिसमें संत, विद्वान् व समाज बराबर के हिस्सेदार हैं।
-डी-197, मोती पार्क के सामने,
मोती मार्ग, बापूनगर, जयपुर-302015 (राजस्थान)
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