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________________ अनेकान्त 72/3, जुलाई-सितम्बर, 2019 53 समाज में धर्मगुरु, आचार्यों आदि का पर्याप्त सम्मान एवं प्रतिष्ठित स्थान रहने से इनकी प्रतिमाएं एवं चरण चिह्न भी देवालयों में प्रतिष्ठित हुए हैं। इसके प्रत्यक्ष उदाहरण आहड़ शान्तिनाथ जिनालय परिसर में स्थापित श्री जगच्चन्द्रसूरि आचार्य की प्रतिमा है। आहड़ में ही जिनालय परिसर में स्थित एक अन्य आचार्य की प्रतिमा जिसकी पीठिका में संवत् 1234 का लेख उकेरित है। इसमें आसन पर स्थापनाचार्य व पास ही अंजलिबद्ध मुद्रा में श्रावक बैठा है। देलवाड़ा, आदिनाथ एवं पार्श्वनाथ जिनालयों में आठ प्रतिमाएं स्थित हैं। इन्हीं जिनालयों में कई अन्य आचार्यों की श्रावक-श्राविकाओं सहित लेखयुक्त प्रतिमाएं विद्यमान हैं, जिनमें श्री पार्श्वनाथ मन्दिर में दो प्रतिमाएं, जिनकी पीठिका पर 1476 एवं 1486 के लेख उत्कीर्ण होने से ये ऐतिहासिक महत्त्व रखती हैं। लेखों के साथ ही आचार्यों के नाम अंकित होने से आचार्य परम्परा व समाज में उनकी प्रतिष्ठा का ज्ञान होता है। आहड़ के आदिनाथ जिनालय के मण्डोवर के नरथर में धार्मिक क्रिया-कलाप जैसे- कायोत्सर्ग में खड़ी व पद्मासन में विराजमान जिन प्रतिमाओं के चारों ओर उपासना-आराधना करते श्रावक-श्राविका, स्थापनाजी के साथ आचार्यों व शिष्यों को धार्मिक क्रिया करते अंकित किया गया है। इसी प्रकार के उदाहरण नागदा मन्दिर के जगती भाग के नरथर में साधु महाराज को वन्दन करते श्रावक, राजपुरुष आदि के अंकन देखे जा सकते हैं। 'नेमजी की बारात' शिल्पकारों के लिए अंकन हेतु बहुत रोचक, सुन्दर एवं महत्त्वपूर्ण विषय रहा है। इसका बहुत ही सुन्दर उदाहरण श्री ऋषभदेव मन्दिर प्रवेश श्रृंगार चंवरी के ललाट बिम्ब पर स्थित देखा जा सकता है। इस पेनल में जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ के विवाह हेतु वर निकासी से लेकर उनके वैराग्य उत्पन्न होने व दीक्षा लेने तक का सुन्दर अंकन हुआ राजकीय परिदृश्य- जैनधर्म प्रारम्भ से ही अन्य धर्मों के समान राजकीय संरक्षण प्राप्त करता रहा है। यह धर्म सभी राजाओं के काल में संरक्षण प्राप्त कर समाज में फलता-फूलता रहा। अनेक जैन श्रेष्ठी राजदरबार में ऊँचे ओहदे पर प्रतिष्ठित रहे। समाज की धर्म में आस्था, विश्वास, श्रद्धा बढ़ी और अनेक श्रेष्ठियों ने कई सुन्दर कलात्मक जैन प्रासादों का निर्माण
SR No.538072
Book TitleAnekant 2019 Book 72 Ank 07 to 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2019
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size2 MB
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