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अनेकान्त 72/3, जुलाई-सितम्बर, 2019 हैं, न पूजा करते हैं, न स्तुति करते हैं; वे भव्य जीव तीनों लोकों में दर्शनीय, पूज्य एवं स्तुतियोग्य होते हैं अर्थात् सर्वलोक उनको भक्ति से देखता है तथा पूजा-स्तुति करता है। जो मनुष्य जिनेन्द्र भगवान् का दर्शन नहीं करते हैं, पूजा नहीं करते हैं और स्तुति नहीं करते हैं, उन मनुष्यों का जीवन संसार में निष्फल है तथा उनके गृहस्थाश्रम के लिए भी धिक्कार
-पूर्व अध्यक्ष अ. भा. दि. जैन विद्वत्परिषद्
429, पटेल नगर, मुजफ्फरनगर (उ.प्र.)
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