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________________ अनेकान्त 69/1, जनवरी-मार्च, 2016 श्री सहित तथा सर्वभाषा स्वभाव वाली आपकी अमृत वाणी समवसरण में व्याप्त होकर अमृत की तरह प्राणियों को आनन्दित करती है। चौंसठ ऋद्धियों में बीजबुद्धि नाम की रिद्धि का भी कथन आता है उसका स्वरूप राजवार्तिक में इस प्रकार कहा है-जैसे हल के द्वारा सम्यक् प्रकार से तैयार की गई उपजाऊ भूमि में योग्यकाल में बोया गया एक भी बीज बहुत बीजों को उत्पन्न करता है, उसी प्रकार नो इन्द्रियावरण, श्रुतज्ञानावरण तथा वीर्यान्तराय कर्म के क्षयोपशम के प्रकर्ष से एक बीज पद के ज्ञान द्वारा अनेक पदार्थो को जानने की बुद्धि को बीजबुद्धि कहते हैं। 'सुकृष्ट सुमथिते क्षेत्रे सारवति कालादि सहायापेक्षं बीजर्मेकमुप्तं यथानेक बीजकोटिप्रदं भवति तथा नोइन्द्रियावरण-श्रुतावरण, वीर्यान्तराय क्षयोपशम प्रकर्षे सति एक बीजपद ग्रहणादनेक पदार्थप्रतिपत्ति /जबुद्धिः। ___- (राजवर्तिक अध्याय 3 सूत्र 66 पृष्ठ143) इस सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि जिनेन्द्रदेव की बीज पदयुक्त वाणी से गणधरदेव बीजबुद्धि ऋद्धिधारी होने से अवधारण करके द्वादशांगरूप रचना करते हैं। इस प्रसंग में यह बात विचार करने योग्य है कि प्रारम्भ में भगवान् की वाणी को झेलकर गणधरदेव द्वादशांग की रचना करते हैं, अतः उस वाणी में बीजपदों का समावेश आवश्यक है, जिनके आश्रय से चार ज्ञानधारी महर्षि गणधरदेव अंगपूर्वो की रचना करने में समर्थ होते हैं। वीरभगवान् की दिव्यध्वनि को गौतम गणधरदेव सुनकर 'बारहंगाणं चोद्दस पुव्वाणं च गंथाणमेक्केण चेव मुहुत्तेण कमेणरयणा कदा' (धवला टीका भाग-1, पृ. सं. 65) द्वादशांग तथा चौदहपूर्व रूप ग्रन्थों की एक मुहूर्त में क्रम से रचना की। इसके पश्चात् भी तो भगवान् महावीर की दिव्यध्वनि खिरती रही है श्रोतृमण्डली को गणधरदेव द्वारा दिव्यध्वनि के समय के पश्चात् उपदेश प्राप्त होता है। जब दिव्यध्वनि खिरती है, तब मनुष्यों के सिवाय संज्ञी पंचेन्द्रिय, तिर्यञ्च, देवादि भी अपनी-अपनी भाषाओं में अर्थ को समझते हैं। इस से वीरसेन स्वामी ने उस दिव्य वाणी को 'सव्वभाषासरूवा' सर्वभाषा स्वरूपा, भी कहा है। उस दिव्यवाणी की यह अलौकिकता है कि
SR No.538069
Book TitleAnekant 2016 Book 69 Ank 01 to 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2016
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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