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________________ अनेकान्त 69/1, जनवरी-मार्च, 2016 प्रकाशित हुआ। प्राच्य विद्याओं के क्षेत्र में आपका मौलिक एवं अभूतपूर्व योगदान रहा है। डॉ. हीरालाल जैन और सिद्धान्ताचार्य पं. फूलचन्दजी ने धवला, जयधवला जैसे दूरूह सिद्धान्त ग्रंथों का सम्पादन एवं अनुवाद कर उन्हें बोधगम्य बनाया। अपभ्रंश ग्रंथों को प्रकाश में लाने का श्रेय डॉ. हीरालाल जैन, पी. एल. वैद्य, डॉ. हरिवल्लभ चुन्नीलाल भायाणी, पं. परमानन्द शास्त्री, डॉ. राजाराम जैन, डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन और डॉ. देवेन्द्रकुमार शास्त्री को जाता है। पं. परमानन्द जैन शास्त्री के 'जैन ग्रंथ प्रशस्ति-संग्रह' के पूर्व तक अपभ्रंश की लगभग 25 रचनाएं ही विदित थी किन्तु उनके प्रशस्ति-संग्रह के प्रकाशित होने से 126 रचनाएँ प्रकाश में आई। विगत 50 वर्षों में जहाँ प्राकृत व्याकरणों के कई संस्करण प्रकाशित हुए वहीं रिचर्ड पिशेल, सिल्वालेवी और डॉ. कीथ के अध्ययन के परिणामस्वरूप संस्कृत नाटकों में प्राकृत भाषा की महत्त्वपूर्ण भूमिका प्रकाश में आई। आर. स्मित ने शौरसेनी प्राकृत के सम्बन्ध में, जार्ज ग्रियर्सन ने पैशाची प्राकृत का, डॉ. जेकोबी तथा ऑल्सडोर्फ ने महाराष्ट्री तथा जैन महाराष्ट्री का और डब्ल्यु. ई. क्कर्क ने मागधी और अर्द्धमागध का एवं बनर्जी और शास्त्री ने मागधी का 'TheEvalution of Magadhi', ऑक्सफोर्ड के रूप में सन् 1922 में विशेष अध्ययन प्रस्तुत किया था। भाषा-वैज्ञानिक दृष्टि से नित्ति डोल्वी का विद्वत्तापूर्ण कार्य 'Les Grammarian Prakrits' (पेरिस, 1938) प्रायः सभी भाषिक अंगों पर प्रकाश डालने वाला है। नित्ति डोल्वी ने पुरुषोत्तम के 'प्राकृतानुशासन' (पेरिस, 1938) तथा रामशर्मन् के तर्कवागीश के 'प्राकृतकल्पतरु' (पेरिस, 1939) का सुन्दर संस्करण तैयार कर फ्रांसीसी अनुवाद सहित प्रकाशित कराया। व्याकरण की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण कार्य रिचर्ड पिशेल का 'Grammatik der Prakrit-Sprachen' अद्भुत माना जाता है, जिसका प्रकाशन 1900 में स्ट्रासवर्ग से हुआ। __ भाषा विज्ञान के क्षेत्र में भी कई नवीन कार्य हुए। ध्वनिविज्ञान, पदविज्ञान, वाक्यविज्ञान तथा शब्दव्युत्पत्ति आदि विषयों का अध्ययन करने वालों में प्रमुख रूप से आर. नॉर्मन, एल. ऑल्सोंफ, लुइस एच.
SR No.538069
Book TitleAnekant 2016 Book 69 Ank 01 to 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2016
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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