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________________ अनेकान्त 69/1, जनवरी-मार्च, 2016 एवं अनुसन्धान कार्यों से यह तथ्य निश्चित एवं स्थिर हुआ कि जैनधर्म एक स्वतंत्र एवं मौलिक दर्शन है। इस दृष्टि से डॉ. हेल्मुथ वान ग्लासनेप की पुस्तक "The Doctrine of Karman in Jain Philosophy" अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है जो सन् 1942 में बम्बई से प्रकाशित हुई थी। ऐतिहासिक दृष्टि से जीमर और स्मिथ के कार्य विशेष रूप से उल्लेखनीय है। एफ डब्ल्य. थॉमस ने आचार्य हेमचन्द्र कृत स्याद्वादमंजरी का बहुत सुन्दर अंग्रेजी अनुवाद किया जो 1960 ई. में बर्लिन से प्रकाशित हुआ। 1963 ई. में आर. विलियम्स ने स्वतंत्र रूप से जैनयोग पर पुस्तक लिखी जो 1963 ई. में लंदन से प्रकाशित हुई। केवल इतना ही कहा जा सकता है कि परमाणुवाद से लेकर वनस्पति, रसायन आदि विविध विषयों का जैनागमों में जहाँ कहीं उल्लेख हुआ है, उसको ध्यान में रखकर विभिन्न विद्वानों ने पत्र-पत्रिकाओं के साथ ही विश्वकोश में भी उनका विवरण देकर शोध एवं अनुसन्धान को दिशा दी है। उनमें से जैनों के दिगम्बर साहित्य व दर्शन पर जर्मन विद्वान् वाल्टर डेनेके (Wlater Denecke) ने अपने शोध-प्रबन्ध में दिगम्बर आगमिक ग्रंथों की भाषा एवं विषयवस्तु दोनों का पर्यालोचन किया था। उनका प्रबन्ध सन् 1923 में हैम्बर्ग से प्रकाशित हुआ था। भारतीय विद्वानों में डॉ. आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये, डॉ. हीरालाल जैन, पं. बेचरदास दोशी, डॉ. प्रबोध पण्डित, सिद्धान्ताचार्य पं. कैलाशचन्द्र, सिद्धान्ताचार्य पं. फूलचन्द, डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री, पं. सुखलाल संघवी, पं. दलसुखभाई मालवणिया, डॉ. राजाराम जैन, डॉ. एच. सी. भयाणी, डॉ. के आर चन्द्रा, प्रो. सत्यरंजन बनर्जी, डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन, डॉ. प्रेमसुमन जैन, डॉ. दामोदर शास्त्री, डॉ. छगनलाल शास्त्री आदि कई लेखकों के नाम भी उल्लेखनीय है। डॉ. उपाध्ये ने कई प्राकृत एवं अपभ्रंश के अनेक ग्रंथों का सम्पादन कर इस क्षेत्र में एक कीर्तिमान स्थापित किया था। अपभ्रंश के परमात्मप्रकाश, प्रवचनसार और तिलोयपण्णत्ति' जैसे ग्रंथों का सफल सम्पादन आपके द्वारा विद्वत् जगत को अनुपम देन है। आपने साहित्यिक तथा दार्शनिक- दोनों प्रकार के ग्रंथों का सुन्दर सम्पादन किया। आचार्य सिद्धसेन के सन्मतिसूत्र का भी सुन्दर संपादन प्रस्तुत किया, जो बम्बई से
SR No.538069
Book TitleAnekant 2016 Book 69 Ank 01 to 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2016
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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