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________________ अनेकान्त 69/1, जनवरी-मार्च, 2016 (1966 ई.), तथा टी. हनाकी का अनुयोगद्वारसूत्र (1970 इत्यादि प्रकाश में आये। 1925 ई. में किरफल (Kirfle) ने जैन उपांग जीवाजीवाभिगम के सम्बन्ध में यह कहा था कि वस्तुतः यह जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति से सम्बद्ध है। सन् 1929 में हैम्बर्ग से काम्पत्ज (Kamptz) ने आगमिक प्रकीर्णकों को 'लेकर शोधोपाधि हेतु अपना शोध-प्रबन्ध प्रस्तुत कर डॉक्टरेट प्राप्त की थी। जैनागम के टीका-साहित्य पर सर्वेक्षण का कार्य अर्नेस्ट ल्युमन ने बहुत ही श्रमपूर्वक किया था, किन्तु वे उसे पूर्ण नहीं कर सके। अनन्तर 'Ubersicht uber die Avaiyaka Literature' के रूप में उसे वाल्टर शुब्रिग ने 1934 ई. में हैम्बर्ग से प्रकाशित किया। इस प्रकार जैनागम तथा जैन साहित्य की शोध-परम्परा के पुरस्कर्ता जर्मन विद्वान् रहे हैं। आज भी वहाँ शोध एवं अनुसन्धान का कार्य हो रहा है। सन् 1935 में फेडेगन (Faddegon) ने दिगम्बर जैनाचार्य कुन्दकुन्द के प्रवचनसार का अंग्रेजी अनुवाद किया था। इस संस्करण की विशेषता यह है कि आचार्य अमृतचन्द्र की तत्त्वप्रदीपिका टीका, व्याख्या व टिप्पणों से यह समलंकृत साहित्यिक विधाओं में प्राकृत जैन कथा साहित्य पर सर्वप्रथम डॉ. जैकोबी ने प्रकाश डाला। इन दिशा में प्रमुख रूप से अर्नेष्ट ल्युमन ने पादलिप्तसूरि की तरंगवतीकथा का जर्मन भाषा में सुन्दर अनुवाद 'दाइ नोन' (Die Nonne) (The Nun) के नाम से 1931 ई. में प्रकाशित किया। तदनन्तर हर्टेल ने जैन कथाओं पर महत्वपूर्ण कार्य किया। क्लास ब्रुहन ने शीलांक के चउपन्नमहापुरिसचरियं पर शोधोपाधि प्राप्त कर सन् 1954 में उसे हैम्बर्ग से प्रकाशित किया। आर. विलियम्स से 'मणिपतिचरित' के दो रूपों को प्रस्तुत कर मूल ग्रंथ का अंग्रेजी अनुवाद किया। इस तरह समय-समय पर जैन कथा-साहित्य पर शोध-कार्य होता रहा है।' जैन दर्शन के अध्ययन की परम्परा हमारी जानकारी के अनुसार आधुनिक काल में अल्ब्रट बेवर के 'फ्रेगमेन्ट ऑफ भगवती' 1867 ई. से मानना चाहिए। कदाचित् एच. एच. विल्सन ने जैन दर्शन का उल्लेख किया था। किन्तु उस समय तक यही माना जाता था कि जैनधर्म हिन्दूधर्म की एक शाखा है। बेवर, जेकोबी, ग्लासनेप आदि जर्मन विद्वानों के शोध
SR No.538069
Book TitleAnekant 2016 Book 69 Ank 01 to 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2016
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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