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________________ अनेकान्त 69/1, जनवरी-मार्च, 2016 की बृहत् सूची तैयार की थी जो 1944 ई0 में लिपजिग से प्रकाशित हुई और जिसमें 1127 जैन हस्तलिखित ग्रंथों का पूर्ण विवरण पाया जाता है। यह सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य माना जाता है। इस प्रकार के कार्यों से ही शोध एवं अनुसन्धान की विभिन्न दिशाएँ उद्घाटित हो सकीं और आगे गतिशील हैं। __ प्राकृत तथा अपभ्रंश साहित्य का सांगोपाग अध्ययन हर्मन जेकोबी से आरम्भ होता है। जेकोबी ने कई प्राकृत जैन ग्रंथों का सम्पादन कर उन पर महत्त्वपूर्ण टिप्पण लिखे। उन्होंने सर्वप्रथम श्वेताम्बर जैनागम 'सूत्रकृतांग' (1885 ई0), 'आचारांगसूत्र' (1885 ई0)' उत्तराध्ययनसूत्र' (1886 ई0) आदि आगमों को सम्पादित किया। इसी समय साहित्यिक ग्रंथों में जैन कथाओं की ओर डॉ. जेकोबी का ध्यान आकृष्ट हुआ। उनकी सन् 1891 में, 'उपमितिभवप्रपंचकथा' प्रकाशित हुई। इसके पूर्व एक 'कथासंग्रह 1886 ई. में प्रकाशित हो चुका था। 'पउमचरियं', 'णेमिणाहचरिउ' और 'सणयकुमारचरिउ' क्रमशः 1914, 1921 और 1922 में प्रकाशित हुए। इसी अध्ययन की श्रृंखला में अपभ्रंश का प्रमुख कथाकाव्य 'भविसयत्तकहा' का प्रकाशन सन् 1918 में प्रथम बार जर्मनी से हुआ। इस प्रकार जर्मन विद्वानों के अथक प्रयत्न, परिश्रम तथा निरन्तर शोध के परिणाम स्वरूप ही प्राकृत अपभ्रंश के क्षेत्र में शोध एवं अनुसन्धान के नए आयाम उदघाटित हुए एवं हो रहे हैं। ऑल्सडोर्फ ने 'कुमारपालप्रतिबोध' (1928 ई0), हरिवंशपुराण (महापुराण के अन्तर्गत), (1936 ई0), उत्तराध्ययनसूत्र, मूलाचार, भगवती आराधना (1968) आदि ग्रंथों का सम्पादन कर प्राकृत तथा अपभ्रंश साहित्य का महान् कार्य किया। वाल्टर शुब्रिग का 'दसवेआलियसुत्तं' का एक सुन्दर संस्करण तथा अंग्रेजी अनुवाद 1932 में अहमदाबाद से प्रकाशित हुआ। उनके द्वारा ही सम्पादित 'इसिभासियं' भाग 1,2 (1943 ई0) में प्रकाशित हुए। शुब्रिग और केल्लट के सम्पादन में तीन छेदसूत्र आयारदसाओ, ववहार और निसीह (1966 ई.) हैम्बर्ग से प्रकाशित हुए। इसी प्रकार जे. एफ. कोल का सूर्यप्रज्ञप्ति (1937 ई.), डब्ल्यु. किफेल का 'जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति' (1937 ई.), हम्म का 'गीयत्थ-विहार' (महानिशीथ का छठा अध्ययन) (1948 ई.), ए. ऊनो का प्रवचनसार
SR No.538069
Book TitleAnekant 2016 Book 69 Ank 01 to 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2016
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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