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अनेकान्त 69/1, जनवरी-मार्च, 2016
19. सूत्रकृतांग सूत्र, आठवास अध्याय। 20. उत्तराध्ययन सूत्र 29/14 21. केवलमुनि (उपा.), आगममुक्ता, पृ. 64-65 22. ज्ञानी किं कुरुतेऽथ किं न कुरुते कर्मेति जानाति कः । -समयसार कलश, 153 23. भावपाहुड, गाथा 159 24.(क) समयसार, गाथा 306-307 पर आचार्य अमृतचन्द्र की आत्मख्याति टीका। (ख) प्राकृतविद्या (शोध त्रैमासिक) अक्टूबर 11989 में डॉ. दयानन्द
भार्गव का लेख 'समयसार की आत्मपरक आचार-मीमांसा', पृ. 33 25. महाप्रज्ञ, आचार्य, 'समयसार : निश्चय और व्यवहार की यात्रा' पृ.36 26. समयसार, गाथा 276 27. समयसार, गाथा 277 28. महाप्रज्ञ, आचार्य, 'समयसार : निश्चय और व्यवहार की यात्रा', पृ. 29. समयसार, गाथा 253 30. समयसार, गाथा 259 31. आचारांग सूत्र 1/3/3 32. अप्पामित्तमित्तं च दुप्पट्ठियसुपट्ठिओ।- उत्तराध्ययन सूत्र, बीसवाँ अध्ययन 37वीं गाथा। 36वीं गाथा भी द्रष्टव्य। 33. महाप्रज्ञ, आचार्य, 'समयसार : निश्चय और व्यवहार की यात्रा', पृ. 61
- सुगन हाउस, १८ रामानुज अय्यर स्ट्रीट, सावरकरपेट, चैन्नई-६००००१