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अनेकान्त 69/2, अप्रैल-जून, 2016 शांति विमलाचार्य की बस्ती में 'संचामर' और 'भाल्लिक्य' गोत्र सेठों के द्वारा श्री सस्स्वती की प्रतिमा स्थापित करवाई गई, और 'आहिल' ने भी।
नाम- ऋषभनाथ की कायोत्सर्ग प्रतिमा __ मूल अभिलेख- 'ओ' (सिद्धम्) ।। सं0 1039 जेष्ठसुदि ।। रवौस्वातिनक्षत्रे
श्री रिषभदेव प्रतिमा श्री विमलाचार्य संताने देवरराजपरम श्राद्धस्तपत्नी (श्रावकस्तत्पत्नी) च धनपती नवती ताभ्यां कारितेति।। वि. स. 1039 ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी (982 ई.) रविवार के दिन स्वाति नक्षत्र में श्री ऋषभदेव जैन तीर्थकर की प्रतिमा की स्थापना श्री विमलाचार्य की संतान (शिष्य) परम श्राद्ध देवराज और उसकी पत्नी ‘धनपती' ने करवायी। ४. मूर्ति का नाम- सम्भवनाथ की कार्योत्सर्ग प्रतिमा
मल अभिलेख-'ओ' (सिद्धम)। सं0 1039 ज्येष्ठसदि ।। रवौ स्वातिनक्षत्र श्री संभव तीर्थकर प्रतिमा श्री विमलचार्य संताने देव राजपरम श्रावकस्तत्पत्नी च धनपति ताभ्यां कारितेति। हिन्दी अनुवाद- वि0 सं0 1039 ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी (982 ई0) रविवार के दिन स्वाति नक्षत्र में श्री संभवनाथ जैन तीर्थकर की प्रतिमा की स्थापना श्री विमलाचार्य की सन्तान (शिष्य) देवराज परम श्रावक और उसकी पत्नी धनपति ने करायी। ५. मूर्ति का नाम- ध्यानस्थ तीर्थकर की प्रतिमा के आसन में अंकित मल अभिलेख- संवत 1091 पपासत धनपाल महिचला कारितेयं।।
हिन्दी अनुवाद- वि. सं. 1091 (1034 ई0) को पपासुत? और 'धनपाल महिचला ने इस प्रतिमा की स्थापना करवाई। ६. मूर्ति का नाम- ध्यानस्थ 'ओं' (सिद्धम्) संवत् तीर्थकर की प्रतिमा के आसन में अंकित मूल अभिलेख- 'ओं' (सिद्धम्) संवत् 1069 रामसुतभोई-देवयाभ्या (सो?) इदेव कारितेय हिन्दी अनुवाद- 'ओं' (सिद्धम्) संवत् 1069 (1034 ई0) में रामसुत और 'भाईदेवी' ने यह प्रतिमा स्थापित करवाई। ७. मूर्ति का नाम- ध्यानस्थ तीर्थकर की प्रतिमा के आसन में अंकित