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________________ अनेकान्त 69/2, अप्रैल-जून, 2016 मूल अभिलेख- संवत् 1031 आणंदा (द) सुतक्वचा सेतु स्रावकाभ्यां (धापकाधारी) कारितेयम् । हिन्दी अनुवाद- वि. सं. 1031 (974 ई0) को 'आनन्दसुत' और क्वचा सेठ इन दोनों श्रावकों ने इस प्रतिमा की स्थापना करवाई। ८. मर्ति का नाम- ध्यानस्थ तीर्थकर की प्रतिमा के आसन में अंकित मूल अभिलेख- सं 1001.... लवसुत रा नेदेल्हेत्रे संपायो माया (सं0 19) माधसु 1 श्री माधव सूतरा देल्हण श्री.. वि.सं. 1001 (944ई0) में ... लवसुत...... हिन्दी अनुवाद- इस अभिलेख में मात्र समय का अंकन वि.सं. 1001 अर्थात् 944 ई0 ही स्पष्ट हैं। ९. मूर्ति का नाम- ध्यानस्थ तीर्थकर के आसन में अंकित मूल अभिलेख- 'इजा बरी करावा आ सुराणंदपनिसहजा' करावीत छ महठ (करावी प्र) हिन्दी अनुवाद- 'इजावरी ने स्थापना करवाई। आनन्द की पत्नी सहजा' ने स्थापना करायी हैं। महठ.....? इस अभिलेख में समय एवं शासक का नाम उत्कीर्ण नहीं हैं। १०. मूर्ति का नाम- तीर्थकर शांतिनाथ की कायोत्सर्ग प्रतिमा के आसन में अंकित मूल अभिलेख- 'देमू (नू) पतनी ताहिणी स्रावकि गि सांतिनाथ प्रतिमा करावित्छ (करावि छ) हिन्दी अनुवाद- 'देमू की पत्नी 'ताहिण* श्राविका ने शान्तिनाथ प्रतिमा की स्थापना करवाई है। ११. मूर्ति का नाम- तीर्थकर कुन्थुनाथ की कायोत्सर्ग प्रतिमा के आसन में अंकित मूल अभिलेख- 'संराणंद करो री इ जासपइ कुंथु प्रतिमा करावीत छ। हिन्दी अनुवाद- 'सुरानन्द केरोई जासपईं श्राविका ने कुंथुनाथ की प्रतिमा की स्थापना करवाई। इसमें भी काल का अंकन नहीं है। १२. मूर्ति का नाम- तीर्थकर वासुपूज्य की यक्षिणी प्रचण्डा के मूर्ति के आसन में अंकित
SR No.538069
Book TitleAnekant 2016 Book 69 Ank 01 to 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2016
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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