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________________ अनेकान्त 68/1, जनवरी-मार्च, 2015 आचार्य देवसेन की कृतियों में दार्शनिक दृष्टि -डॉ. आलोक कुमार जैन आचार्य देवसेन स्वामी ने अपनी कृतियों में सत् के स्वरूप को विभिन्न प्रकार से प्ररूपित किया है। जो अपने गुण पर्यायों में व्याप्त होता है, वह सत् कहलाता है, उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य से युक्त सत् कहा गया है, वही अस्तित्व कहा जाता है। इसी सत् के पर्याय स्वरूप 6 द्रव्यों का विशद वर्णन किया है। इन सबमें परम उपादेयभूत जीवद्रव्य का विस्तृत रूप से वर्णन किया है। जिसमें जीव को अलग-अलग उपाधियों और अधिकारों द्वारा विवेचित किया गया है। जीव में जीवत्व, उपयोगमयत्व, अमूर्तित्व, कर्तृत्व, भोक्तृत्व, स्वदेहपरिमाणत्व, संसार में स्थिति, सिद्धत्व और स्वभाव से ऊर्ध्वगमनत्व गुण विद्यमान होते हैं। जीवत्व के संबंध में आचार्य ने कुछ गाथायें उद्धृत करके विवेचन किया है। जो 10 प्राणों से जीता है वह जीव है। जीव के दो उपयोगों का विशद वर्णन आचार्य ने सारगर्भित 6-8 गाथाओं में करके अपनी प्रखर बुद्धि का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनमें पांचों ज्ञानों सहित जीव को भिन्न-भिन्न रूप से कहते हुए ज्ञानों के भेद-प्रभेदों का भी अच्छा विवेचन है। उन ज्ञानों को प्रत्यक्ष और परोक्ष के भेद से प्ररूपित किया है। इसी प्रकार जीव में स्वभाव से विद्यमान संकोच-विस्तार गुण होने से जीव को स्वदेहपरिमाण वाला सिद्ध किया है और अन्य मतों की विपरीत मान्यताओं को खण्डित भी किया है। निश्चय नय और व्यवहार नय की अपेक्षा से पृथक्-पृथक् कर्मों का कर्ता और कर्मों के फल का भोक्ता विवेचित किया है। स्वभाव से ऊर्ध्वगमन करने वाला बताते हुए कहा है कि जीव निश्चित रूप से ऊर्ध्वगमन करता है, परन्तु जो कर्म सहित जीव हैं, वे विग्रहगति में चारों विदिशाओं को छोड़कर छहों दिशाओं में गमन करता है तथा शुद्ध जीव ऋजुगति से ऊर्ध्वगमन ही करता है। इसके अलावा पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल द्रव्य का वर्णन आचार्य देवसेन स्वामी ने भी अन्य आचार्यों के अनुरूप ही में किया है। तत्पश्चात् सात तत्त्वों का विशद वर्णन किया गया। उन सात तत्त्वों में पुण्य और पाप मिला देने से 9 पदार्थ हो जाते हैं। अजीव तत्त्व का
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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