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________________ 47 अनेकान्त 68/1, जनवरी-मार्च, 2015 वर्णन करते हुए उसके भेदों में पुद्गलादि का वर्णन किया है। आस्रव का स्वरूप सामान्यतया पूर्वाचार्यों के समान ही प्रस्तुत किया है। बंध तत्त्व के वर्णन में उसके चार भेदों को भी स्पष्ट किया है। प्रकृति बंध के अन्तर्गत 8 कर्मों के स्वरूप को भी प्ररूपित किया है। स्थिति बंध, अनुभाग बंध और प्रदेश बंध को सामान्य रूप से ही निरूपित किया है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि तत्कालीन समय में लोगों को इन विषयों की जानकारी अच्छी रही होगी अथवा आचार्य देवसेन स्वामी को इन सभी विषयों को सूत्र रूप में वर्णन करना इष्ट होगा। संवर, निर्जरा और मोक्ष का वर्णन भी इसी प्रकार संक्षेप में किया गया है। आचार्य का स्पष्ट कथन है कि संवर पूर्वक निर्जरा ही मोक्ष का उचित साधन है, अन्य कोई विधि से मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है। __ द्रव्य की परिभाषा बताते हुए कहा गया है कि द्रव्य गुण और पर्याय वाला होता है। उन गुण और पर्यायों के सम्बन्ध में जो वर्णन आचार्य देवसेन स्वामी ने किया है, वैसा वर्णन अन्य किसी आचार्य द्वारा प्रणीत ग्रन्थ में नहीं मिलता। द्रव्य के सामान्य और विशेष गुणों का पृथक्-पृथक् वर्णन अपूर्व है। जो गुण सभी द्रव्यों में सामान रूप से पाये जाते हैं वे सामान्य गुण और जो एक द्रव्य को दूसरे द्रव्य से पृथक् करते हैं वे विशेष गुण कहलाते हैं। सामान्य गुण दस हैं और विशेष गुण 16 हैं, जो अलग-अलग द्रव्य के अलग-अलग हैं। जीव और पुदगल द्रव्य में 6-6 और शोध निष्क्रिय धर्म, अधर्म, आकाश और काल द्रव्य के 3-3 विशेष गुण होते हैं। गणों के विकार को पर्याय कहते हैं अथवा गणों के परिणमन को पर्याय कहते हैं। इसके मुख्य रूप से दो भेद अर्थ पर्याय और व्यंजन पर्याय हैं। इन दोनों के भेद-प्रभेदों का विस्तृत रूप से वर्णन मात्र आलाप पद्धति ग्रन्थ में ही प्राप्त होता है, जो आचार्य देवसेन स्वामी की विशेषता को दर्शाता है। पर्यायों को एक तालिका के रूप में प्रदर्शित करके इस विषय को और अधिक स्पष्ट करने का प्रयास किया है। अनन्त धर्मात्मक तत्त्व की अवधारणा जैनदर्शन में प्रमाण तथा नय के आधार पर की गई है। इन दोनों के द्वारा वस्तु को एक और अनेक रूपों में क्रमश: जाना जा सकता है। प्रमाण तथा नय का सम्बन्ध सापेक्ष है।
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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