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________________ अनेकान्त 68/3, जुलाई-सितम्बर, 2015 पुस्तक समीक्षा प्रतिष्ठाचार्य विमलकुमार सोरया-अभिनंदन ग्रन्थ “प्रतिष्ठा-प्रज्ञ' प्रधान संपादक- प्राचार्य निहालचंद जैन-निदेशक वीर सेवा मंदिर-शोध संस्थान, दरियागंज, नई दिल्ली-2, संयोजक-डॉ. अरिहंत जैन- 30 राधिका विहार-2, सीपत रोड, बिलासपुर (छ.ग), लोकार्पण प्रसंग- श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव- एक मार्च 2015, सिद्धक्षेत्र मदनपुर (ललितपुर)उ.प्र. सान्निध्य-परमपूज्य अध्यात्म योगी आ. श्री विशुद्धसागर जी महाराज ससंघ, सहयोग राशि- रु.501/- आर्टपेपर पर कलरफुल प्रिंटिग पृ. स.564, प्राप्ति स्थान एवं प्रकाशक-वीतराग वाणी ट्रस्ट रजि. सेल सागर-टीकमगढ़ (म.प्र.) । पांच खण्डों में विभाजित-प्रथम खण्ड में 42 जैनाचार्यो/मुनिराजों/ आर्यिकाओं के मंगल आशीर्वाद, 115 विद्वानों/साहित्यकारों की शुभकामनाएं एवं सुरेश 'सरल' की कलम से सोरया जी की जीवन-गाथा, तृतीय खण्ड-प्रतिष्ठाचार्य सोरया जी के दस महत्वपूर्ण शोधालेख एवं विशिष्ट चयनित सम्पादकीय (संख्या-30), चतुर्थखण्ड में 33 प्रभृत विद्वानों के शोधालेख/ पांचवाँ खण्ड- परिशिष्ट के रूप में, अभिनंदन ग्रंथ-जीवनोपयोगी और लोककल्याणकारी आलेखों का समुच्चय है तथा शून्य से शिखर तक उत्कर्ष की एक अनकही गाथा का गुंथन। पूज्य आचार्यों मुनिराजों के 24 रंगीन चित्र। पूज्य गणेश वर्णी जी-मड़ावरा जिनकी कर्मभूमि रही का स्मरण-(फुल साइज चित्र द्वारा), सोरया जी एवं परिवार की दुर्लभ चित्रों की झलकियाँ, संख्या लगभग 160 (जो ग्रंथ के 30 पृष्ठों में) समाहित है। इसमें 45 वर्षीय धर्मप्रभावना के कार्यकाल में अनेक स्थानों से प्राप्त अभिनंदन पत्र, प्रशस्ति पत्र, सम्मान-पत्रों में से कुछ उपाधियों से अलंकृत प्रशस्ति पत्रों के छाया चित्र। ग्रन्थ संग्रहणीय । पठनीय तथा शोधार्थियों के लिए संदर्भित ग्रन्थ है।
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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