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अनेकान्त 68/3, जुलाई-सितम्बर, 2015
12 गोम्मट्टसार, जीवकाण्ड, 494-495 13 गोम्मटसार, जीवकाण्ड, 704-705 14 दर्शन और चिन्तन- भाग-2, पं. सुखलाल जी, गुजरात विद्या सभा, अहमदाबाद, 1957, पृ. 297 15 पंचसंग्रह प्राकत 1/183-184 16 सर्वार्थसिद्धि 2/6/159/11 17 गोम्मटसार, जीवकाण्ड, 536 18 लेश्याकोश, पृ. 31 19 तिलोयपण्णत्ति 2/295-296, गोम्मटसार- 509-510, उत्तराध्ययन 34/21-22 20 तिलोयपण्णत्ति 2/297-298, राजवार्तिक 4/22/11/239/26, उत्तराध्ययन 24/23-24 21 उत्तराध्ययन 39/25-26 22 राजवार्तिक 4/212/10/239/29, गोम्मटसार 515/922, उत्तराध्ययनसूत्र 39/27-28 23 उत्तराध्ययन 39/29-30
24 उत्तराध्ययन सूत्र 34/31-32 25 पंचसंग्रह प्राकृत 1/153, गो. जी. 556
आव. अ 4, सू. 6, हारि. टीका 27 गोजी. गा. 506-7, पृ. 182 28 आव. अ 4, सू. 6, हारि. टीका 29 लेश्याकोश, पृ. 17 330 लेश्याकोश, पृ.
19 1 मूलाचार-वट्टकेर स्वामी, 1134-1137 32 जैनेन्द्रसिद्धान्तकोश-जिनेन्द्रवर्णी, भाग-3, पृ. 441 33 गोम्मटसार जीवकाण्ड 499-50334 महाभारत शान्तिपर्व, 280/33 35 गीता, गीता प्रेस, गोरखपुर, 161/5-6 36 अंगुत्तरनिकाय, महावग्ग-6, 3 उछलभिजातिसुत्त, लेश्याकोश, पृ. 250 38 षड्लेश्या-भावाभिव्यक्ति, पृ. 16
- 3/65, विकास खण्ड, गोमतीनगर,
लखनऊ-226010 (उ.प्र.)